सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (15 दिसंबर 2025) को इंडिगो एयरलाइंस की उड़ानों के लगातार रद्द होने के मामलों को “गंभीर और सार्वजनिक चिंता” का विषय बताया, लेकिन इस मुद्दे पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले से जुड़ी एक याचिका पहले से ही दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित है और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने भी इस चूक की जांच के लिए एक समिति गठित कर दी है, जिसके कारण हजारों यात्री देश के विभिन्न हवाई अड्डों पर फंसे रहे।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने याचिकाकर्ता-इन-पर्सन नरेंद्र मिश्रा को संबोधित करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में समानांतर कार्यवाही नहीं करना चाहता। पीठ ने स्पष्ट किया कि यदि शीर्ष अदालत इस स्तर पर दखल देती है, तो इससे दिल्ली हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई प्रभावित हो सकती है और वहां की कार्यवाही बाधित होने की आशंका है।
पीठ ने यह भी रेखांकित किया कि नागरिक उड्डयन क्षेत्र से जुड़ा यह मुद्दा न केवल यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा से संबंधित है, बल्कि सार्वजनिक हित से भी जुड़ा हुआ है। हालांकि, अदालत ने माना कि चूंकि संबंधित प्राधिकरण पहले से सक्रिय हैं और उच्च न्यायालय इस विषय पर विचार कर रहा है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप फिलहाल आवश्यक नहीं है।
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अदालत ने याचिकाकर्ता को दिल्ली हाईकोर्ट में चल रही कार्यवाही में शामिल होने की अनुमति देते हुए कहा कि वह वहीं अपने तर्क और शिकायतें रख सकते हैं। साथ ही, पीठ ने यह भरोसा भी जताया कि DGCA द्वारा गठित समिति इस मामले की गंभीरता को देखते हुए समुचित जांच करेगी और आवश्यक सुधारात्मक कदम सुझाएगी।
इंडिगो की उड़ानों के बार-बार रद्द होने से हाल के दिनों में यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा है। कई हवाई अड्डों पर यात्रियों को घंटों इंतजार करना पड़ा, जिससे विमानन सेवाओं की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी ने इस समस्या की गंभीरता को उजागर किया है, हालांकि अंतिम निर्णय अब दिल्ली हाईकोर्ट और नियामक संस्थाओं के हाथ में है।
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