सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार महेश लांगा को मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में अंतरिम जमानत प्रदान की है। यह मामला उनके खिलाफ लगाए गए कथित धोखाधड़ी के आरोपों से जुड़ा हुआ है। सोमवार, 15 दिसंबर 2025 को अदालत ने यह राहत दी। शीर्ष अदालत ने इस दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को निर्देश दिया कि वह यह बताने के लिए एक रिपोर्ट दाखिल करे कि महेश लांगा ने अंतरिम जमानत की शर्तों का पालन किया है या नहीं।
यह आदेश तीन न्यायाधीशों की पीठ ने पारित किया, जिसकी अध्यक्षता भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत कर रहे थे। सुनवाई के दौरान महेश लांगा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अधिवक्ता अभिमन्यु श्रेष्ठा ने अदालत में पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि मामले में अंतरिम राहत देना उचित है और आरोपी ने जांच में सहयोग किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि अंतरिम जमानत स्थायी राहत नहीं है और यह कुछ शर्तों के अधीन दी गई है। अदालत ने ईडी से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि आरोपी अदालत द्वारा तय की गई सभी शर्तों का पालन कर रहा है या नहीं। इस संबंध में ईडी को एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
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गौरतलब है कि मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में सुप्रीम कोर्ट आमतौर पर सख्त रुख अपनाता है, लेकिन प्रत्येक मामले में तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जाता है। पत्रकार महेश लांगा के मामले में भी अदालत ने प्रथम दृष्टया परिस्थितियों को देखते हुए अंतरिम जमानत दी है।
अब इस मामले की आगे की सुनवाई में यह तय किया जाएगा कि जमानत को आगे बढ़ाया जाए या नहीं। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को पत्रकारिता जगत और कानूनी हलकों में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
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