सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना सरकार को कड़ा संदेश देते हुए कहा है कि राज्य को विकास योजनाओं के साथ पर्यावरण संरक्षण को भी समान महत्व देना होगा। मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने टिप्पणी करते हुए कहा कि कांचा गाचीबौली क्षेत्र में काटे गए पेड़ों के स्थान पर नए पेड़ लगाने का कार्य प्राथमिकता पर होना चाहिए। तभी सरकार को वास्तविक सराहना (real compliments) मिलेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य की बहाली योजना (restoration plan) संतुलित होनी चाहिए, जिससे विकास और सततता (sustainability) के बीच सामंजस्य बना रहे। अदालत ने तेलंगाना सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है कि अब तक कितने पेड़ लगाए गए हैं, और भविष्य में किन स्थानों पर हरियाली बढ़ाने की योजना है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि केवल सड़कें, इमारतें और औद्योगिक परियोजनाएं बनाना ही प्रगति नहीं है। यदि पर्यावरण को नुकसान पहुँचता है, तो विकास का असली उद्देश्य अधूरा रह जाता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अदालत का उद्देश्य विकास कार्यों को रोकना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि विकास प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर हो।
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अदालत ने चेतावनी दी कि यदि पर्यावरण बहाली के वादों को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो आगे सख्त आदेश दिए जा सकते हैं। इस मामले में अगली सुनवाई में तेलंगाना सरकार को पेड़ पुनःरोपण (replantation) और हरित क्षेत्र बढ़ाने के ठोस आंकड़े पेश करने होंगे।
सुप्रीम कोर्ट का यह रुख यह संदेश देता है कि शहरीकरण के दौर में भी पर्यावरणीय जिम्मेदारियों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
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