तेलंगाना सरकार ने स्थानीय निकाय चुनावों में पिछड़ा वर्ग (बीसी) आरक्षण की सीमा को 50% से आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है। राज्य विधानसभा ने नगर पालिका अधिनियम और पंचायत राज अधिनियम में संशोधन संबंधी विधेयक पारित कर दिए हैं, जिनका उद्देश्य बीसी समुदाय को अधिक प्रतिनिधित्व देना है।
इन विधेयकों के पारित होने से स्थानीय निकायों में आरक्षण की सीमा 50% से बढ़ाई जा सकेगी। सरकार का कहना है कि पिछड़े वर्गों को पर्याप्त राजनीतिक अवसर सुनिश्चित करने के लिए यह कदम आवश्यक है। इस समय राष्ट्रपति के पास इसी तरह के कुछ अन्य विधेयक लंबित हैं, जिनकी मंजूरी के बाद नए प्रावधान लागू हो सकेंगे।
मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने कहा कि यह संशोधन बीसी समुदाय के लंबे समय से चले आ रहे राजनीतिक प्रतिनिधित्व के मुद्दे को सुलझाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि उन्होंने पहले इस मामले में सहयोग नहीं दिया और अब इस पहल को बाधित करने का प्रयास कर रहे हैं।
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विपक्षी दलों का कहना है कि यह कदम राजनीतिक लाभ के लिए उठाया गया है और इससे संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन हो सकता है। वहीं, सरकार का तर्क है कि सामाजिक न्याय और समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए यह आरक्षण वृद्धि जरूरी है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को चुनौती देता है जिसमें स्थानीय निकायों में कुल आरक्षण को 50% तक सीमित रखने का निर्देश दिया गया था।
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