पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना ज़िले में मंगलवार को मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की शुरुआत के पहले दिन, बीएलओ (Booth Level Officer) साहबुद्दीन मोंडल, एक स्कूल शिक्षक, घर-घर जाकर मतदाताओं से संपर्क कर रहे थे।
मोंडल को काजीपाड़ा इलाके में 1,287 मतदाताओं की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी। सुबह 10:30 बजे वे नामांकन फॉर्म्स से भरा एक बड़ा बैग लेकर घर से निकले। उनके साथ स्थानीय टीएमसी एजेंट अब्बास अली और आशा कार्यकर्ता अंजुरा खातून भी मौजूद थे। विपक्षी दलों की ओर से कोई प्रतिनिधि मौके पर नहीं था।
मोंडल लोगों से कहते, “यह सिर्फ गणना फॉर्म है, अभी कोई दस्तावेज़ दिखाने की आवश्यकता नहीं है। 15 नवंबर को मैं फॉर्म लेने फिर आऊंगा, इसलिए सावधानी से भरें।”
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लेकिन कुछ ही घरों के बाद बीएलओ का मोबाइल ऐप खराब हो गया, जिससे फॉर्म वितरण का डिजिटल प्रमाण अपलोड नहीं हो सका। मोंडल ने कहा, “यह काम नहीं कर रहा, मुझे बाद में अपलोड करना होगा।”
एक मतदाता तंजिना बीबी के घर पर उन्होंने बताया कि दो नाम डुप्लिकेट EPIC कार्ड होने के कारण हटा दिए गए हैं। तंजिना ने कहा कि उनके ससुरालवाले संभवतः पास के दगांगा क्षेत्र में पंजीकृत हैं।
इस दौरान उनके पर्यवेक्षक जयंत दास भी निरीक्षण के लिए पहुंचे। उन्होंने कहा कि वे 13 बीएलओ का कार्य देख रहे हैं और किसी भी समस्या की सूचना उच्च अधिकारियों तक पहुंचाते हैं।
कई मतदाताओं ने अपने नाम, वर्तनी और दस्तावेजों में असंगति को लेकर सवाल किए। एक मतदाता ने पूछा, “अगर नाम हट गया तो क्या होगा?” इस पर टीएमसी एजेंट अब्बास अली ने लोगों को आश्वस्त किया, “चिंता मत करें, किसी का नाम नहीं हटेगा।”
मतदाता संशोधन प्रक्रिया के पहले ही दिन यह स्पष्ट हो गया कि ऐप गड़बड़ी और मतदाताओं की शंकाएं बीएलओ के लिए बड़ी चुनौती हैं।
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