स्कूलों में आधुनिक शिक्षा प्रणाली के तहत 'U-आकार' (U-shaped) बैठने की व्यवस्था को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसका उद्देश्य संवाद, सहभागिता और शिक्षक से बेहतर संपर्क को बढ़ाना है। लेकिन अब शारीरिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों और बाल रोग विशेषज्ञों ने इस व्यवस्था को लेकर गंभीर चिंता जताई है।
विशेषज्ञों के अनुसार, 'U-शेप' क्लासरूम सेटिंग में किनारे पर बैठे छात्रों को शिक्षक या बोर्ड की ओर लगातार गर्दन मोड़कर देखना पड़ता है, जिससे गर्दन और रीढ़ की हड्डी पर अनावश्यक तनाव पड़ता है। साथ ही, लंबे समय तक तिरछे कोण से देखने के कारण आंखों पर भी दबाव बढ़ता है, जिससे आंखों में थकान, धुंधलापन और सिरदर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
नेत्र विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों की आंखें अभी विकास की अवस्था में होती हैं, ऐसे में गलत कोण से लंबे समय तक देखने से उनकी दृष्टि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलावा, यह बैठने की व्यवस्था छात्रों की बैठने की मुद्रा (posture) को भी बिगाड़ सकती है, जिससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं जन्म ले सकती हैं।
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शिक्षाविदों ने सुझाव दिया है कि शिक्षण में नवाचार ज़रूरी है, लेकिन छात्रों के शारीरिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने संतुलित और स्वास्थ्य-सम्मत कक्षा व्यवस्था को अपनाने की सलाह दी है, जिसमें सभी छात्रों को स्पष्ट दृश्य और सहज बैठने की सुविधा मिले।
यह मुद्दा स्कूल प्रशासन और नीति निर्माताओं के लिए विचार का विषय बन गया है कि शिक्षण व्यवस्था के साथ-साथ छात्रों के स्वास्थ्य की भी समान रूप से रक्षा की जाए।
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