पुणे नगर निगम (पीएमसी) चुनावों से पहले महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ सामने आया है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के दोनों गुटों के एकजुट होने की अटकलों के बीच कांग्रेस ने पुणे नगर निगम चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया है। यह चुनाव अगले महीने होने की संभावना है।
सूत्रों के अनुसार, अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन में है। वहीं, पुणे में एनसीपी (शरद पवार गुट) के भी अजित पवार गुट के साथ आने की चर्चा तेज है। इस संभावित गठजोड़ को देखते हुए पुणे कांग्रेस ने मुंबई कांग्रेस की तर्ज पर चुनाव में अकेले उतरने का निर्णय लिया है।
गुरुवार को पुणे कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुंबई में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात कर शहर की राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की। इस दौरान यह स्पष्ट किया गया कि महाराष्ट्र कांग्रेस की राय है कि एनसीपी से दूरी बनाए रखी जाए, ताकि पार्टी अपनी धर्मनिरपेक्ष पहचान को बरकरार रख सके, जैसा कि मुंबई में किया गया था।
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एक कांग्रेस नेता ने बताया कि एनसीपी (एसपी) पुणे नगर निगम चुनाव के लिए अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के साथ हाथ मिला रही है। उन्होंने कहा कि स्थानीय कांग्रेस नेताओं को उस प्री-पोल गठबंधन की चर्चाओं में शामिल होने के लिए फटकार भी लगाई गई, जिनमें अजित पवार की एनसीपी शामिल थी, क्योंकि वह भाजपा की सहयोगी पार्टी है।
कांग्रेस नेतृत्व का मानना है कि भाजपा के साथ गठबंधन करने वाली पार्टी के साथ चुनावी समझौता करने से पार्टी की विचारधारा और धर्मनिरपेक्ष छवि को नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए, कांग्रेस ने यह तय किया है कि वह पुणे नगर निगम चुनाव में किसी भी दल के साथ गठबंधन किए बिना स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ेगी।
यह फैसला आने वाले समय में पुणे की स्थानीय राजनीति और चुनावी समीकरणों को नई दिशा दे सकता है।
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