मद्रास हाई कोर्ट ने संयुक्त राज्य अमेरिका के डेलावेयर जिले की अदालत द्वारा जारी लेटर्स रोटेटरी (अंतरराष्ट्रीय न्यायिक सहयोग के अनुरोध) को खारिज कर दिया है। यह अनुरोध एक फार्मा पेटेंट विवाद से जुड़ा था, जिसमें अमेरिकी दवा कंपनी फाइज़र और भारतीय फार्मा कंपनी सिप्ला के बीच दवा Vyndamax को लेकर कानूनी लड़ाई चल रही है।
यह लेटर्स रोटेटरी चेंगलपट्टू स्थित एक भारतीय फार्मा कंपनी से मौखिक और दस्तावेजी सबूत जुटाने के लिए जारी किया गया था। हालांकि, मद्रास हाई कोर्ट की दो-न्यायाधीशों की पीठ — न्यायमूर्ति जी. जयचंद्रन और न्यायमूर्ति मुम्मिनेनी सुधीर कुमार — ने कहा कि इस अनुरोध को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हेग कन्वेंशन के अनुच्छेद 23 के तहत, कोई भी हस्ताक्षरकर्ता देश ऐसे अनुरोध को ठुकरा सकता है जो मामलों के प्री-ट्रायल चरण में ‘सबूत जुटाने’ (pre-trial discovery of evidence) के रूप में हो। इसलिए, अमेरिकी अदालत द्वारा 13 मई 2024 को जारी यह अनुरोध भारतीय कानून और अंतरराष्ट्रीय प्रावधानों के अनुरूप स्वीकार्य नहीं है।
और पढ़ें: इलाहाबाद हाईकोर्ट: खुशहाल विवाहित जोड़े को POCSO ट्रायल से गुजरने पर मजबूर करना भाग्य की विडंबना
फाइज़र और सिप्ला के बीच पेटेंट विवाद लंबे समय से चर्चा में है, क्योंकि दवा Vyndamax एक महत्वपूर्ण कार्डियक दवा मानी जाती है। इस प्रकार के अंतरराष्ट्रीय मामलों में अक्सर विभिन्न देशों की अदालतों से सहायता मांगी जाती है, लेकिन इस मामले में भारतीय न्यायालय ने अंतरराष्ट्रीय संधियों के प्रावधानों का हवाला देते हुए इसे अस्वीकार कर दिया।
यह फैसला भारत के न्यायिक संप्रभुता को मजबूती देने वाला माना जा रहा है, विशेषकर उन मामलों में जहां विदेशी अदालतें भारतीय कंपनियों से जानकारी मांगती हैं।
और पढ़ें: शहीद अग्निवीर की मां ने समान मृत्यु लाभ की मांग को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया