असम सरकार ने गुरुवार, 23 अक्टूबर 2025, को निर्णय लिया कि वर्ष 1983 के नेली नरसंहार पर आधारित तिवारी आयोग की रिपोर्ट को आगामी नवंबर सत्र में राज्य विधानसभा के समक्ष प्रस्तुत करेगी। यह निर्णय मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया।
नेली नरसंहार भारत के सबसे भीषण सांप्रदायिक दंगों में से एक माना जाता है। यह घटना 18 फरवरी 1983 को उस समय हुई थी जब राज्य में विदेशी विरोधी असम आंदोलन (Assam Agitation) अपने चरम पर था। इस हिंसा में 2,000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी, जिनमें अधिकतर महिलाएं और बच्चे शामिल थे। मृतक मुख्य रूप से प्रवासी मुस्लिम समुदाय से थे।
इस घटना की जांच के लिए तत्कालीन असम सरकार ने तिवारी आयोग का गठन किया था, जिसने reportedly अपनी रिपोर्ट 1984 में सरकार को सौंपी थी। हालांकि, यह रिपोर्ट अब तक सार्वजनिक नहीं की गई थी और दशकों से राजनीतिक और सामाजिक हलकों में इसकी पारदर्शिता को लेकर सवाल उठते रहे हैं।
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राज्य सरकार का यह कदम ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इससे न केवल तीन दशक पुरानी त्रासदी की सच्चाई सामने आने की उम्मीद है, बल्कि पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने की दिशा में भी एक कदम बढ़ेगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला असम में राजनीतिक और सामाजिक विमर्श को नई दिशा दे सकता है, खासकर जब राज्य में नागरिकता और प्रवासन से जुड़े मुद्दे फिर से चर्चा में हैं।
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