बिहार में हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में करारी हार के बाद महागठबंधन के भीतर दरार और गहरी होती दिखाई दे रही है। शनिवार को राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने अपने सहयोगी कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि यदि कांग्रेस बिहार में अपनी शर्तों पर चुनाव लड़ना चाहती है, तो उसे अपनी वास्तविक ताकत का पता चल जाएगा।
यह बयान महागठबंधन में पनप रहे असंतोष को सार्वजनिक रूप से सामने लाता है। दोनों पार्टियां—आरजेडी और कांग्रेस—अपने-अपने स्तर पर समीक्षा बैठकों का आयोजन कर रही हैं ताकि यह समझा जा सके कि आखिर किन कारणों से चुनाव परिणाम इतने निराशाजनक रहे।
243 सदस्यीय विधानसभा में महागठबंधन मात्र 35 सीटों पर सिमट गया, जबकि एनडीए ने 202 सीटों पर जीत दर्ज कर एकतरफा जीत हासिल की। गठबंधन में शामिल कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका लगा, जिसने 2025 के विधानसभा चुनाव में अपने हिस्से की 60 सीटों में से केवल 6 सीटें जीतीं।
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आरजेडी के भीतर इस बात को लेकर नाराज़गी जताई जा रही है कि कांग्रेस ने चुनाव प्रचार और उम्मीदवार चयन में पर्याप्त गंभीरता नहीं दिखाई। आरजेडी नेताओं का मानना है कि कांग्रेस की कमजोर स्थिति की वजह से गठबंधन की समग्र छवि प्रभावित हुई।
कांग्रेस, जो पहले से ही लगातार चुनावी हार से जूझ रही है, अब बिहार में भी अपनी रणनीति को लेकर चौतरफा दबाव का सामना कर रही है। दूसरी ओर, आरजेडी इस हार को संगठनात्मक और रणनीतिक कमियों से जोड़कर कांग्रेस को ज़िम्मेदार ठहरा रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यदि यह मतभेद जल्द नहीं सुलझे, तो महागठबंधन का भविष्य गंभीर संकट में पड़ सकता है, खासकर 2026 के निकट भविष्य में होने वाले राजनीतिक मुकाबलों को देखते हुए।
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