केरल में पारंपरिक कर्किड़का वावु बलि के अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं ने अपने पूर्वजों और दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए 'बलि तर्पण' किया। राज्य के विभिन्न समुद्र तटों, नदियों के किनारे और पवित्र स्नान घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।
वयोवृद्ध, महिलाएं और बच्चे पारंपरिक परिधानों में आकर भारी बादलों के बीच धार्मिक अनुष्ठानों में शामिल हुए। श्रद्धालुओं ने नदी या समुद्र के जल में खड़े होकर पिंडदान और तर्पण की परंपरा निभाई। कई लोगों ने हाल ही में दिवंगत हुए परिजनों को भी इस मौके पर याद किया और उनके मोक्ष के लिए प्रार्थना की।
कर्किड़का वावु बलि, मलयालम पंचांग के अनुसार कर्कट मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इसे पूर्वजों को श्रद्धा अर्पित करने का अत्यंत पवित्र दिन माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन किए गए तर्पण से पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन ने आयोजन स्थलों पर सुरक्षा और व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए विशेष इंतजाम किए थे। स्वास्थ्य विभाग की ओर से भी मेडिकल कैंप लगाए गए और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा गया।
केरल में यह परंपरा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह पीढ़ियों के बीच जुड़ाव और पारिवारिक मूल्यों को भी प्रबल करती है।
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