खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स (KIUG) 2025 में दिल्ली की जूडो खिलाड़ी जानवी यादव ने 48 किलोग्राम वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर न सिर्फ अपना सपना पूरा किया, बल्कि अपने पिता द्वारा किए गए त्याग का कर्ज भी उतारा। यह जीत उनके लिए सिर्फ एक पदक नहीं बल्कि संघर्ष, विश्वास और दृढ़ इच्छाशक्ति की कहानी है।
साल 2022-23 में जानवी और अन्य सैकड़ों छात्रों को तब बड़े आघात का सामना करना पड़ा जब फ्रांस में होने वाले 19वें ISF वर्ल्ड स्कूल जिमनैजिएड के लिए उनका वीज़ा समय पर नहीं आया। आयोजकों की लापरवाही के कारण उनके परिवार की जमा-पूंजी डूब गई। जानवी के पिता उत्तम सिंह—जो एक कुरियर कंपनी में काम करते हैं—ने अपनी FD तोड़कर और कर्ज लेकर 2.5 लाख रुपये जुटाए थे, जिनकी वापसी आज तक नहीं हुई।
लेकिन इस आर्थिक संकट ने न तो पिता का विश्वास डिगाया और न ही जानवी के हौसले टूटने दिए। सात महीने तक बाएं कंधे की चोट से जूझने के बाद जानवी ने जोरदार वापसी करते हुए उदयपुर में आयोजित KIUG 2025 में स्वर्ण पदक अपने नाम किया। इससे पहले वह गुवाहाटी में 2024 KIUG में कांस्य जीत चुकी हैं।
और पढ़ें: भारत बनाम दक्षिण अफ्रीका पहला वनडे: तारीख, समय, टीम और अन्य विवरण
सिर्फ 19 साल की जानवी अब तक कई खेलो इंडिया पदक जीत चुकी हैं, जिनमें 2021 का स्वर्ण और 2023 का रजत शामिल है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उन्होंने 2019 में कॉमनवेल्थ सब-जूनियर चैंपियनशिप और 2022 में एशियन कैडेट चैंपियनशिप में रजत जीता था।
जानवी अपने माता-पिता के समर्थन को अपनी सफलता का आधार मानती हैं। प्रशिक्षण के दौरान Khelo India से मिलने वाली आर्थिक मदद ने भी उन्हें पोषण, उपकरण और यात्रा खर्चों में राहत दी।
सर्जरी के बाद उनकी यह स्वर्णिम वापसी बेहद प्रेरणादायक है। अब जानवी अगले महीने होने वाले जूनियर नेशनल ट्रायल्स की तैयारी में जुट गई हैं, ताकि अपने परिवार के भरोसे और त्याग का प्रतिफल लगातार देती रहें।
और पढ़ें: सैयद मोदी सेमीफ़ाइनल में तन्वी शर्मा की हार: लाइन स्मैश में हुई गलतियाँ बनीं वजह