टेक दिग्गज माइक्रोसॉफ्ट ने अपने साइबर अर्ली वार्निंग सिस्टम तक चीन की पहुँच को सीमित करने का फैसला किया है। यह कदम पिछले महीने हुए व्यापक साइबर हमलों के बाद उठाया गया है, जिनमें माइक्रोसॉफ्ट के शेयरपॉइंट सर्वर को निशाना बनाया गया था। इन हमलों के लिए आंशिक रूप से बीजिंग को जिम्मेदार ठहराया गया है।
माइक्रोसॉफ्ट ने कहा कि नई पाबंदियों का उद्देश्य संवेदनशील साइबर सुरक्षा जानकारी की सुरक्षा सुनिश्चित करना और विदेशी दुरुपयोग की संभावनाओं को कम करना है। इस बदलाव के तहत चीनी उपयोगकर्ताओं और कंपनियों को अब उस विशेष प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली तक पूरी तरह से पहुँच नहीं होगी, जो संभावित साइबर खतरों के बारे में पहले से अलर्ट प्रदान करती है।
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम चीन से जुड़े हैकर समूहों की गतिविधियों पर अंकुश लगाने के प्रयास का हिस्सा है। हाल के हमलों ने दिखाया कि संवेदनशील तकनीकी जानकारी के दुरुपयोग से वैश्विक साइबर ढाँचे पर गंभीर खतरे उत्पन्न हो सकते हैं।
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अमेरिकी अधिकारियों ने भी इस मुद्दे पर चिंता जताई है और कहा है कि महत्वपूर्ण डिजिटल ढाँचे और सेवाओं की सुरक्षा के लिए ऐसे कदम आवश्यक हैं। हालांकि, बीजिंग ने इन आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि चीन किसी भी तरह की साइबर जासूसी में शामिल नहीं है।
विश्लेषकों का मानना है कि यह निर्णय अमेरिका और चीन के बीच पहले से मौजूद तकनीकी तनाव को और बढ़ा सकता है। माइक्रोसॉफ्ट का कहना है कि वह अपने वैश्विक उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा और डेटा संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देती रहेगी।
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