देश के सात प्रमुख राज्य केंद्र द्वारा किए जाने वाले कर हस्तांतरण (देवोल्यूशन) की तुलना में राष्ट्रीय कर संग्रह में अधिक योगदान देते हैं। संसद में सरकार द्वारा साझा किए गए आंकड़ों से यह जानकारी सामने आई है। ये आंकड़े इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि 16वें वित्त आयोग ने 2026-31 की अवधि के लिए कर वितरण फार्मूले पर अपनी सिफारिशें पिछले महीने सरकार को सौंप दी हैं।
वित्त मंत्रालय द्वारा राज्यसभा में दिए गए जवाब के अनुसार, कई राज्य ऐसे हैं जो देश के कुल कर संग्रह में अपने हिस्से से अधिक योगदान देते हैं, जबकि केंद्र से मिलने वाले कर हिस्से में उन्हें अपेक्षाकृत कम मिलता है। उदाहरण के रूप में उत्तर प्रदेश ने 2020-21 से 2024-25 के बीच कुल राष्ट्रीय कर संग्रह में 4.6% योगदान दिया, जबकि इस दौरान केंद्र द्वारा साझा किए गए करों में उसे 15.8% हिस्सा प्राप्त हुआ।
यह असमानता बताती है कि कर संग्रह और कर वितरण के बीच महत्वपूर्ण अंतर मौजूद है, जिसे वित्त आयोग अपने फार्मूले में संतुलित करने का प्रयास करता है। सामान्यतः वित्त आयोग राज्यों की आबादी, प्रति व्यक्ति आय, स्थलाकृति, राजस्व क्षमता और अन्य मानकों के आधार पर कर वितरण का अनुपात निर्धारित करता है। कुछ आर्थिक रूप से मजबूत राज्य अधिक कर संग्रह करते हैं लेकिन उनका जनसंख्या अनुपात और विकास आवश्यकताएं कम होने के कारण उन्हें वितरण में कम हिस्सा मिलता है।
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दूसरी ओर, अपेक्षाकृत पिछड़े राज्य कम कर योगदान के बावजूद अधिक हिस्सा प्राप्त करते हैं ताकि विकास में संतुलन स्थापित किया जा सके। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह संघीय ढांचे की मजबूती और सहकारी संघवाद की आवश्यकता के अनुरूप है।
16वें वित्त आयोग की सिफारिशें जारी होने के बाद यह मुद्दा एक बार फिर राष्ट्रीय बहस का केंद्र बना हुआ है।
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