ब्रिटेन सरकार ने बुधवार को कहा कि वह अमेरिका द्वारा तकनीकी सहयोग समझौते के क्रियान्वयन को निलंबित किए जाने के बाद बातचीत को जल्द से जल्द दोबारा शुरू करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। यह टेक सहयोग समझौता सितंबर में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भव्य राजकीय यात्रा के दौरान ब्रिटेन के साथ हस्ताक्षरित किया गया था।
हालांकि, मंगलवार को व्हाइट हाउस के विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति कार्यालय (Office of Science and Technology Policy) के प्रमुख माइकल क्रैट्सियोस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कहा कि इस समझौते को फिर से लागू करने के लिए ब्रिटेन को व्यापार वार्ताओं में “ठोस प्रगति” दिखानी होगी।
अमेरिका और ब्रिटेन मई में हुए “इकोनॉमिक प्रॉस्पेरिटी डील” को लागू करने की कोशिश कर रहे हैं। यह समझौता उस समय हुआ था जब राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिका में आने वाले सामानों पर कठोर टैरिफ लगाने की चेतावनी दी थी और इसके बाद यह शुरुआती अंतरराष्ट्रीय समझौतों में से एक बना।
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सितंबर 2025 में तय हुआ अमेरिका-ब्रिटेन टेक्नोलॉजी प्रॉस्पेरिटी डील एक गैर-बाध्यकारी (non-binding) समझौता था, जिसे व्यापक इकोनॉमिक प्रॉस्पेरिटी डील के साथ जोड़ा गया था। इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच तकनीकी नवाचार में तालमेल बढ़ाना और मुख्य रूप से निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित करना था।
व्हाइट हाउस की घोषणा के बाद ब्रिटिश सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा, “हम इस साझेदारी पर काम को जल्द से जल्द दोबारा शुरू करने की उम्मीद करते हैं और भविष्य की उभरती तकनीकों को आकार देने के लिए मिलकर काम करना चाहते हैं।”
प्रवक्ता ने बताया कि ब्रिटेन के व्यापार और उद्योग मंत्री पीटर काइल ने पिछले सप्ताह वॉशिंगटन डीसी में अपने अमेरिकी समकक्षों के साथ व्यापार वार्ताएं कीं, ताकि इकोनॉमिक प्रॉस्पेरिटी डील को आगे बढ़ाया जा सके। दोनों पक्षों ने हालिया फार्मा समझौते की सफलता का स्वागत किया और अगले वर्ष भी बातचीत जारी रखने पर सहमति जताई।
The Indian Witness के अनुसार, अमेरिकी अधिकारी ब्रिटेन द्वारा गैर-शुल्क बाधाओं (non-tariff barriers) को दूर करने में कथित अनिच्छा से निराश हैं। इनमें खाद्य और औद्योगिक उत्पादों से जुड़े नियम और विनियम शामिल हैं।
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