भारत में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित महंगाई दर सितंबर 2025 में 0.13% पर आ गई है। यह आंकड़ा अगस्त 2025 की 0.52% महंगाई दर से कम है और पिछले साल सितंबर 2024 में यह दर 1.91% थी। इससे पता चलता है कि थोक स्तर पर मूल्य वृद्धि में उल्लेखनीय कमी आई है।
विभिन्न वस्तुओं के समूहों के आधार पर देखा जाए तो खाद्य पदार्थों, ईंधन और बिजली की कीमतों में मामूली बदलाव के कारण महंगाई दर कम रही। विशेषज्ञों का कहना है कि थोक स्तर पर कीमतों का नियंत्रण उपभोक्ता स्तर पर मुद्रास्फीति को भी स्थिर बनाए रखने में मदद कर सकता है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों में कीमतों में अंतर देखने को मिला है। कृषि उत्पादों और ताजे खाद्य पदार्थों की कीमतों में पिछले महीनों की तुलना में गिरावट दर्ज की गई, जबकि ईंधन और कोयला जैसे औद्योगिक उत्पादों की कीमतों में स्थिरता बनी रही।
और पढ़ें: आईटी शेयरों में तेजी और भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता की उम्मीदों से बाजार में उछाल
विश्लेषकों का मानना है कि यह डेटा भारतीय रिजर्व बैंक और नीति निर्धारकों के लिए संकेतक हो सकता है। इसके आधार पर मौद्रिक नीति में बदलाव, ब्याज दर संबंधी निर्णय और आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के उपायों पर विचार किया जा सकता है।
इस बीच, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) और थोक मूल्य सूचकांक (WPI) के बीच अंतर यह दर्शाता है कि थोक स्तर पर कीमतों का नियंत्रण होना आवश्यक है ताकि लागत प्रवाह सीधे उपभोक्ताओं तक न पहुंचे और महंगाई स्थिर बनी रहे।
और पढ़ें: दिल्ली में सोने की कीमत में ₹1,950 की तेजी, 10 ग्राम का भाव रिकॉर्ड ₹1,27,950