दिल्ली में रहने वाले अफ़गान शरणार्थी भूकंप प्रभावित अपने देश की खबरों की प्रतीक्षा में डरे और चिंतित हैं। अफगानिस्तान के कुनार प्रांत के नंगरहार जिले में आए 6.0 तीव्रता वाले भूकंप ने कम से कम 812 लोगों की जान ले ली और 2,500 से अधिक घायल कर दिए।
भूकंप के बाद प्रभावित क्षेत्रों में संचार व्यवस्था बाधित हो गई है, जिससे दिल्ली में रहने वाले अफ़गान अपने परिवार और प्रियजनों की स्थिति के बारे में जानकारी पाने में असमर्थ हैं। मोबाइल फोन और इंटरनेट सेवा अक्सर बाधित होने से अफ़गानों के बीच चिंता और डर और बढ़ गया है।
अधिकांश लोग घर और परिवार की सुरक्षा को लेकर परेशान हैं और स्थानीय प्रशासन और राहत संगठनों से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं। भूकंप ने न केवल भौतिक नुकसान किया है बल्कि लोगों के मन में मानसिक तनाव और भय भी पैदा किया है।
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दिल्ली में अफ़गानों की यह स्थिति दर्शाती है कि कैसे प्राकृतिक आपदाएं शरणार्थियों और प्रवासियों के लिए अतिरिक्त चुनौतियां उत्पन्न करती हैं। वे अपने परिवार की सुरक्षा और जीवन के लिए लगातार प्रार्थना कर रहे हैं, जबकि स्थानीय समुदाय और राहत एजेंसियां उन्हें मानसिक सहारा और आवश्यक जानकारी देने में लगी हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी आपदाओं में शरणार्थियों का डर और चिंता सामान्य है और इसके लिए सरकार और गैर-सरकारी संस्थाओं को तत्काल मदद, मानसिक स्वास्थ्य समर्थन और सुरक्षित संचार के साधन उपलब्ध कराने की आवश्यकता है।
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