अमेरिका में रूढ़िवादी विचारधारा के प्रमुख चेहरे चार्ली किर्क की मौत ने देश की राजनीति में गहरी दरारों को एक बार फिर उजागर कर दिया है। उनकी असामयिक मृत्यु ने राजनीतिक विमर्श को और तीखा बना दिया है।
चार्ली किर्क की हत्या के बाद उनके समर्थकों और रिपब्लिकन खेमे में गुस्से की लहर है। कई रूढ़िवादी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस घटना के लिए सीधे तौर पर उदारवादी (लिबरल) समूहों को दोषी ठहराया है। उनका मानना है कि उदारवादी राजनीति और नीतियों ने हिंसा को बढ़ावा दिया है, जिसके कारण यह हमला हुआ। सोशल मीडिया पर भी रिपब्लिकन समर्थकों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और आरोप लगाया कि इस तरह की घटनाएं अमेरिका के लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा हैं।
वहीं दूसरी ओर, डेमोक्रेटिक नेताओं ने अपेक्षाकृत संयमित प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने किसी विशेष राजनीतिक समूह पर आरोप लगाने से परहेज किया और सामान्य तौर पर राजनीतिक हिंसा की निंदा की। डेमोक्रेट्स ने इस घटना को एक बार फिर अमेरिका में बंदूक नियंत्रण कानूनों को कड़ा करने की जरूरत के तौर पर पेश किया। उनका कहना है कि जब तक हथियारों की पहुंच सीमित नहीं होगी, तब तक इस तरह की त्रासदियां दोहराई जाती रहेंगी।
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विश्लेषकों का मानना है कि चार्ली किर्क की मौत केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं है, बल्कि यह अमेरिका की राजनीतिक संस्कृति में बढ़ते ध्रुवीकरण का प्रतीक भी है। यह घटना दर्शाती है कि कैसे राजनीतिक बहसें अब हिंसा और आरोप-प्रत्यारोप में बदल रही हैं।
यह मामला अमेरिका की राजनीति को आने वाले समय में और ज्यादा विभाजित कर सकता है, खासकर जब चुनावी माहौल में दोनों खेमे अपनी-अपनी विचारधाराओं को और जोरदार तरीके से पेश कर रहे हैं।
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