केरल के पलक्कड़ ज़िले के वालयार में छत्तीसगढ़ से आए दलित प्रवासी मजदूर राम नारायण की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या किए जाने की घटना ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। राम नारायण को कथित रूप से “बांग्लादेश से आया अवैध अपराधी” समझकर भीड़ ने निशाना बनाया। इस घटना ने केरल में ज़ेनोफोबिक यानी बाहरी लोगों के खिलाफ नफरत की राजनीति के उभरने की आशंका को और गहरा कर दिया है।
इस नृशंस हत्या के मोबाइल फोन वीडियो सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो गए। इन दृश्यों ने उत्तर भारत में हाशिए पर पड़े समुदायों, खासकर गोमांस खाने के संदेह में हुई भीड़ हत्याओं की याद ताजा कर दी। राज्य भर में इस घटना को लेकर गहरा आक्रोश और शोक का माहौल है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी तेज़ रही हैं। सत्तारूढ़ माकपा (CPI-M) के राज्य सचिव एम.वी. गोविंदन ने इस हत्या के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने आरोप लगाया कि नफरत और डर का माहौल फैलाकर ऐसी हिंसक घटनाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है।
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वहीं, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के राज्य सचिव बिनॉय विश्वम ने कांग्रेस-नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) पर निशाना साधते हुए कहा कि राम नारायण की हत्या के मामले में आरएसएस की भूमिका पर खुलकर बोलने से विपक्ष “संदेहास्पद रूप से बच रहा है”। उन्होंने कहा कि इस तरह की चुप्पी भी हिंसा को अप्रत्यक्ष समर्थन देती है।
इस घटना ने केरल जैसे राज्य में, जिसे सामाजिक सौहार्द और प्रगतिशील राजनीति के लिए जाना जाता है, गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मानवाधिकार संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी और प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है।
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