उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर संसद के गलियारों में सरगर्मी तेज हो गई है। इस बार चुनाव की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पहला वोट डालने से होगी। यह कदम न केवल औपचारिक प्रक्रिया का हिस्सा है, बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी प्रतीकात्मक महत्व रखता है।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने इस चुनाव के लिए महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार बनाया है। वे लंबे समय से संगठन और प्रशासन में सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं और सत्तारूढ़ दल को विश्वास है कि वे आसानी से जीत हासिल करेंगे। दूसरी ओर, विपक्ष ने पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार के रूप में उतारा है। विपक्ष का कहना है कि उनका उम्मीदवार न्याय, निष्पक्षता और संवैधानिक मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है।
चुनाव से पूर्व दोनों खेमों ने अपने-अपने सांसदों को लामबंद करने की पूरी कोशिश की है। एनडीए की ओर से मॉक पोल और बैठकों का आयोजन किया गया ताकि सभी सांसद तय समय पर मौजूद रहें और मतदान सुनिश्चित हो। विपक्ष ने भी इसी तरह अपने सांसदों को एकजुट करने की रणनीति अपनाई है।
और पढ़ें: उपराष्ट्रपति चुनाव से दूर रहेंगे बीजेडी, बीआरएस और अकाली दल
हालांकि मौजूदा संख्या बल एनडीए उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन के पक्ष में स्पष्ट झुकाव दिखाता है, फिर भी विपक्ष का मानना है कि चुनाव एक “लोकतांत्रिक संदेश” देने का अवसर है। विशेषज्ञ मानते हैं कि परिणाम लगभग तय है, लेकिन राजनीतिक दृष्टि से यह चुनाव सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए अहम है।
प्रधानमंत्री मोदी का पहला वोट इस चुनाव को और भी सुर्खियों में ला रहा है और इसे सत्तारूढ़ दल की एकजुटता का प्रतीक माना जा रहा है।
और पढ़ें: उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान से दूर रहेगा बीआरएस, केटीआर ने कांग्रेस पर लगाए आरोप