कर्नाटक के कार्कला में वरिष्ठ अधिवक्ता एम.के. विजयकुमार का निधन हो गया। वे समाज में कमजोर वर्गों, विशेषकर निर्बल महिलाओं, कृषि मजदूरों और गरीब के अधिकारों की रक्षा के लिए मुफ्त में कानूनी सेवाएं प्रदान करने के लिए जाने जाते थे।
एम.के. विजयकुमार का करियर न्याय और समानता के लिए समर्पित रहा। उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों में सामाजिक न्याय की स्थापना के लिए संघर्ष किया और न्यायपालिका में गरीब और हाशिए पर रहने वाले लोगों के लिए विधिक मार्गदर्शन सुनिश्चित किया। उनके काम ने उन्हें न केवल कानूनी पेशेवरों के बीच, बल्कि आम जनता में भी सम्मान दिलाया।
समाजसेवी के रूप में उनका योगदान अत्यंत प्रशंसनीय रहा। वे अक्सर अपने समय और संसाधनों का उपयोग ऐसे मामलों में करते थे, जिनमें कमजोर वर्गों की आवाज दब रही होती थी। उनका कहना था कि “कानून केवल संपन्न लोगों के लिए नहीं, बल्कि हर व्यक्ति के लिए है”।
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एम.के. विजयकुमार के निधन से न केवल कार्कला और आसपास के क्षेत्रों में शोक की लहर दौड़ी, बल्कि पूरे कर्नाटक के कानूनी समुदाय में भी गहरा दुख देखा गया। उनके समर्थक और सहयोगी उन्हें समर्पित, न्यायप्रिय और निःस्वार्थ व्यक्तित्व के रूप में याद कर रहे हैं।
उनकी विरासत यह संदेश देती है कि न्याय और सेवा की भावना समाज में बदलाव लाने का सबसे बड़ा साधन हो सकती है।
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