आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम के पास स्थित शांत और सुंदर गांव भद्रय्यापेटा इस समय एक गंभीर स्वास्थ्य संकट से गुजर रहा है। यहां के लगभग हर घर में कम से कम एक व्यक्ति लंबे समय से किडनी संबंधी बीमारी से जूझ रहा है।
स्थानीय लोगों के अनुसार, इसका मुख्य कारण गांव के एकमात्र सामुदायिक नल से मिलने वाला पानी है। उनका दावा है कि पानी की गुणवत्ता बेहद खराब है और इसे पीने से धीरे-धीरे किडनी की कार्यक्षमता प्रभावित हो रही है। कई परिवारों ने वर्षों से लगातार बीमारियों और मौतों का सामना किया है, जिससे गांव में भय और निराशा का माहौल है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि समस्या के पीछे केवल पानी की गुणवत्ता ही नहीं, बल्कि स्वच्छता की कमी और गलत दवाइयों का सेवन भी जिम्मेदार हो सकता है। कई मरीज बिना डॉक्टर की सलाह के दवाएं लेते हैं, जिससे किडनी पर और अधिक दबाव पड़ता है।
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विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि पानी के स्रोत की नियमित जांच और फिल्ट्रेशन की व्यवस्था नहीं की गई, तो स्थिति और बिगड़ सकती है। उन्होंने सुझाव दिया है कि गांव में स्वच्छ पेयजल आपूर्ति, स्वास्थ्य जांच शिविर और सही दवा वितरण की व्यवस्था तत्काल की जानी चाहिए।
भद्रय्यापेटा के लोग उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार और प्रशासन इस “खामोश कातिल” समस्या को गंभीरता से लेकर जल्द समाधान निकालेगा, ताकि आने वाली पीढ़ियों को इस घातक बीमारी से बचाया जा सके।
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