तेलंगाना सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्थानीय निकाय चुनावों में OBC आरक्षण को 42% बढ़ाने के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि यह “जनता की इच्छा” का प्रतिबिंब है। सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में राज्य सरकार ने स्पष्ट किया कि इस आरक्षण का उद्देश्य सामाजिक न्याय और प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना है, और यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया के अनुरूप है।
स्थानीय निकाय चुनाव 23 और 27 अक्टूबर को होने वाले हैं। राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि इस फैसले का मकसद स्थानीय समाज के विविध वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व देना है। तेलंगाना में पिछले कई वर्षों से OBC समुदाय को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला था, और राज्य सरकार का मानना है कि 42% आरक्षण देने से समाज के पिछड़े वर्गों की भागीदारी बढ़ेगी।
सुप्रीम कोर्ट में यह भी कहा गया कि इस निर्णय के पीछे राजनीतिक लाभ के बजाय सामाजिक न्याय और जनता की मांग को ध्यान में रखा गया है। राज्य ने अदालत से अनुरोध किया कि चुनावी प्रक्रिया में किसी भी तरह की बाधा न डाली जाए और चुनाव समय पर संपन्न हो सके।
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विशेषज्ञों का मानना है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय राजनीतिक और सामाजिक संतुलन दोनों के लिए महत्वपूर्ण होगा। 42% OBC आरक्षण को लागू करने से तेलंगाना के स्थानीय निकायों में पिछड़े वर्गों की भागीदारी और सशक्तिकरण बढ़ सकता है।
सरकार ने यह भी बताया कि चुनाव सुरक्षित और निष्पक्ष वातावरण में संपन्न होंगे और राज्य प्रशासन निर्वाचन प्रक्रिया के सभी नियमों का पालन करेगा।
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