प्रसिद्ध इतालवी फैशन ब्रांड प्राडा (Prada) और अन्य कई अंतरराष्ट्रीय लग्जरी कंपनियां भारत जैसे विशाल बाजार में अब तक मजबूत पकड़ नहीं बना पाई हैं। भले ही भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है और यहां करोड़ों मध्यम वर्गीय उपभोक्ता हैं, फिर भी इन ब्रांडों की रणनीति अक्सर असफल साबित होती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इन कंपनियों की विफलता का एक मुख्य कारण भारतीय बाजार की संस्कृति और प्राथमिकताओं की सही समझ का अभाव है। प्राडा जैसे ब्रांड अक्सर पश्चिमी शैली और सोच के अनुसार ही मार्केटिंग करते हैं, जो भारतीय ग्राहकों से जुड़ नहीं पाती। भारत में उपभोक्ता न केवल ब्रांड की गुणवत्ता चाहते हैं, बल्कि वे स्थानीय पहचान, मूल्य और उपयोगिता को भी अहमियत देते हैं।
इसके अलावा, भारत में लग्जरी बाजार अब भी बड़े शहरों और सीमित वर्ग तक ही सीमित है। ब्रांड्स अक्सर गलत स्थानों पर स्टोर खोलते हैं या अपनी कीमत और उत्पाद रेंज को भारतीय संदर्भ में नहीं ढाल पाते। डिजिटल मार्केटिंग की कमी और स्थानीय साझेदारियों का अभाव भी इनकी असफलता का कारण बनता है।
हालांकि भारत में अमीर वर्ग तेजी से बढ़ रहा है, फिर भी ब्रांड्स को यहां सफलता के लिए स्थानीय सोच, परंपरा और व्यवहार को समझना होगा। वरना वे केवल सोशल मीडिया की चकाचौंध में रह जाएंगे, जबकि असली बाजार उनसे दूर होता जाएगा।