भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) निकट भविष्य में फिक्स्ड-रेट लिक्विडिटी ऑपरेशंस को दोबारा शुरू करने की संभावना नहीं रखता। सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय बैंक बैंकों को सीधी मदद देने के बजाय लिक्विडिटी प्रबंधन के लिए वेरिएबल रेट तंत्र पर भरोसा बनाए रखना चाहता है।
वर्तमान में आरबीआई विभिन्न नीलामी आधारित (variable rate) उपकरणों के माध्यम से बैंकिंग प्रणाली में तरलता (liquidity) का प्रबंधन करता है। पहले फिक्स्ड-रेट लिक्विडिटी ऑपरेशंस के जरिए बैंकों को निर्धारित दर पर फंड उपलब्ध कराया जाता था, लेकिन इसे अब सक्रिय रूप से उपयोग नहीं किया जा रहा है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “आरबीआई बैंकों को हाथ पकड़कर सहारा देने के पक्ष में नहीं है। मौजूदा व्यवस्था में बाजार की मांग और आपूर्ति के आधार पर ब्याज दरें तय होती हैं, जिससे लिक्विडिटी का अधिक पारदर्शी प्रबंधन संभव है।”
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विश्लेषकों का मानना है कि मौजूदा मौद्रिक नीति का उद्देश्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना और ब्याज दरों में स्थिरता बनाए रखना है। फिक्स्ड-रेट तंत्र को फिर से लागू करने से यह संदेश जा सकता है कि केंद्रीय बैंक बाजार में अतिरिक्त हस्तक्षेप कर रहा है, जो मौद्रिक अनुशासन के विपरीत होगा।
बैंकों ने समय-समय पर फिक्स्ड-रेट लिक्विडिटी सपोर्ट की मांग की है, खासकर जब बाजार में नकदी की कमी रही है। हालांकि, आरबीआई का मानना है कि वेरिएबल रेट नीलामी प्रक्रिया से बैंकों को अपनी तरलता आवश्यकताओं का प्रबंधन अधिक कुशलता से करना चाहिए।
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि निकट भविष्य में आरबीआई अपनी मौजूदा रणनीति पर कायम रहेगा और फिक्स्ड-रेट लिक्विडिटी ऑपरेशंस की वापसी की संभावना नहीं है।
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