भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 10 पैसे की गिरावट के साथ 87.57 रुपये पर बंद हुआ। विदेशी मुद्रा बाजार में कारोबारियों ने कहा कि यह गिरावट मुख्य रूप से आयातकों की बढ़ी हुई मांग के कारण आई। जब आयातकों को डॉलर खरीदने की आवश्यकता होती है, तो यह घरेलू मुद्रा पर दबाव डालती है और रुपये का मूल्य कम हो जाता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक बाजार में अमेरिकी डॉलर की मजबूती भी रुपये पर असर डाल रही है। अमेरिकी डॉलर में वृद्धि से अन्य मुद्राओं की तुलना में रुपया कमजोर दिखा। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं ने भी मुद्रा विनिमय दर को प्रभावित किया।
इसी बीच, भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक खबर यह आई है कि एस एंड पी ग्लोबल (S&P Global) ने भारत के क्रेडिट रेटिंग को ‘BBB’ तक अपग्रेड कर दिया है। एस एंड पी का कहना है कि भारत की आर्थिक वृद्धि, स्थिर वित्तीय स्थिति और मजबूत नीतिगत ढांचा इसके रेटिंग सुधार के मुख्य कारण हैं। क्रेडिट रेटिंग सुधार से भारत को अंतरराष्ट्रीय निवेशकों से सस्ता फंड जुटाने में मदद मिलेगी और विदेशी निवेश आकर्षित होगा।
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हालांकि, मुद्रा बाजार में ताजगी के बावजूद रुपये पर विदेशी मांग का दबाव बना हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले दिनों में रुपये के उतार-चढ़ाव का अंदाजा वैश्विक बाजार की चाल और घरेलू आर्थिक नीतियों से तय होगा।
रुपये की यह गिरावट आयातकों के लिए अलर्ट की स्थिति है, जबकि क्रेडिट रेटिंग सुधार निवेशकों के लिए सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।
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