भारतीय रुपया मंगलवार (28 अक्टूबर 2025) को 8 पैसे की गिरावट के साथ 88.27 प्रति अमेरिकी डॉलर पर बंद हुआ। यह गिरावट घरेलू शेयर बाज़ारों की कमजोरी और विदेशी पूंजी के बहिर्प्रवाह (foreign fund outflows) के कारण दर्ज की गई। हालांकि, कमजोर अमेरिकी डॉलर और कच्चे तेल की कीमतों में नरमी ने रुपये को और ज्यादा गिरने से बचाया।
फॉरेक्स कारोबारियों के अनुसार, निवेशक अब अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीति बैठक (29 अक्टूबर) पर नज़र बनाए हुए हैं, जिससे आगे के संकेत मिल सकते हैं।
इंटरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 88.34 पर खुला और दिनभर 88.23 से 88.40 के दायरे में कारोबार करता रहा। अंततः यह 88.27 प्रति डॉलर पर बंद हुआ, जो पिछले सत्र से 8 पैसे की गिरावट है। सोमवार (27 अक्टूबर) को रुपया 36 पैसे फिसलकर 88.19 पर बंद हुआ था।
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मिराए एसेट शेअरखान के अनुसंधान विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा कि कमजोर घरेलू इक्विटी और आयातकों की डॉलर मांग के कारण रुपया थोड़ा दबाव में रह सकता है, हालांकि भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर बनी उम्मीदें निचले स्तरों पर रुपये को समर्थन दे सकती हैं। उन्होंने अनुमान जताया कि आने वाले दिनों में यूएसडी/आईएनआर दर 87.90 से 88.60 के बीच रह सकती है।
इस बीच, डॉलर इंडेक्स, जो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मज़बूती को मापता है, 0.09% गिरकर 98.69 पर आ गया। वहीं, ब्रेंट क्रूड (वैश्विक तेल मानक) में 1.74% की गिरावट आई और यह 64.48 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया।
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