भारतीय रुपया आज शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 21 पैसे की बढ़त के साथ 87.75 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ। विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया मजबूत होने के पीछे कई कारण हैं। विशेषज्ञों ने बताया कि विदेशी फंडों के नए प्रवाह और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने निवेशकों का भरोसा बढ़ाया और रुपया डॉलर के मुकाबले मजबूत हुआ।
विदेशी मुद्रा व्यापारी (Forex traders) के अनुसार, विदेशी निवेशकों की ओर से भारत में पूंजी निवेश का बढ़ता प्रवाह रुपये को समर्थन दे रहा है। इससे न केवल मुद्रा बाजार में स्थिरता आई है, बल्कि आयातक कंपनियों को भी लाभ हुआ है क्योंकि डॉलर के मुकाबले रुपये का मजबूत होना उनके लागत में कमी लाता है।
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट भी रुपया मजबूत होने का एक महत्वपूर्ण कारण है। भारत एक बड़ा तेल आयातक देश है और कच्चे तेल की कीमतों में कमी से व्यापार घाटा कम होता है। इससे विदेशी मुद्रा भंडार पर सकारात्मक असर पड़ता है और निवेशकों में आत्मविश्वास बढ़ता है।
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विश्लेषकों का कहना है कि अगर विदेशी निवेश और कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता बनी रहती है, तो रुपये की मजबूती जारी रह सकती है। वहीं, वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों, अमेरिकी डॉलर की चाल और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में उतार-चढ़ाव पर भी नजर रखी जा रही है।
हालांकि, विशेषज्ञों ने यह भी चेतावनी दी है कि मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव सामान्य हैं, लेकिन वर्तमान स्थिति रुपये के लिए सकारात्मक संकेत देती है और निवेशकों का मनोबल बढ़ाती है।
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