भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत ने मंगलवार (25 नवंबर 2025) को एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि समाज को किसी भी परिस्थिति में जाति के आधार पर विभाजित होने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। यह टिप्पणी तब आई जब अदालत में केंद्र सरकार की प्रस्तावित जाति जनगणना पर चर्चा के दौरान एक पक्ष ने इस संबंध में प्रस्तुतियाँ दीं।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने मौखिक टिप्पणी में कहा, “हम जो भी करें, समाज को जाति के आधार पर विभाजित नहीं करना चाहिए।” उन्होंने यह भी संकेत दिया कि सामाजिक सामंजस्य और एकता भारत की लोकतांत्रिक संरचना की मूल ताकत है, इसलिए किसी भी नीतिगत कदम को इसी दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।
सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों पर भी चर्चा हुई। अदालत ने कहा कि इन चुनावों की प्रक्रिया जारी रह सकती है, लेकिन यह अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगी कि आगे क्या कदम उठाए जाएं। अदालत के अनुसार, चुनावों को रोकने की कोई तत्काल आवश्यकता नहीं है, और वे कार्यवाही के परिणामों के अधीन ही होंगे।
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CJI की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब देश भर में जाति जनगणना पर बहस तेज है। कुछ राजनीतिक दल और सामाजिक समूह इसे सामाजिक न्याय का साधन मानते हैं, जबकि अन्य का कहना है कि इससे समाज में अनावश्यक विभाजन बढ़ सकता है।
मुख्य न्यायाधीश की यह टिप्पणी सामाजिक एकता की संवैधानिक अवधारणा को रेखांकित करती है और संकेत देती है कि न्यायपालिका उन मुद्दों पर सतर्क है जिनसे समाज में भेदभाव या विभाजन बढ़ सकता है। उनका कहना था कि विकास, समान अवसर और सामाजिक सद्भाव जैसे मुद्दे जातीय पहचान की राजनीति से अधिक महत्वपूर्ण हैं।
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