उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा ‘लव जिहाद’ और अवैध धर्मांतरण के एक बड़े नेटवर्क का भंडाफोड़ करने के बाद गिरफ्तार किए गए मोहम्मद अली ने पूछताछ में चौंकाने वाला बयान दिया है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, अली ने खुद को शिकार बताते हुए कहा है कि वह अब इस्लाम छोड़कर दोबारा हिंदू बनना चाहता है।
मूल रूप से राजस्थान का निवासी मोहम्मद अली, जिसने धर्म परिवर्तन से पहले पियूष पंवार के नाम से जाना जाता था, इस नेटवर्क के 10 गिरफ्तार आरोपियों में शामिल है।
2021 से शुरू हुई कहानी, प्यार से धोखा
अली ने पुलिस को बताया कि 2021 में उसकी मुलाक़ात टोंक (राजस्थान) की एक युवती शाना से हुई थी। दोनों में प्रेम हुआ, लेकिन शाना ने शादी के लिए इस्लाम अपनाने की शर्त रखी। पियूष ने इस शर्त को मानते हुए अपना नाम मोहम्मद अली रख लिया। धर्म परिवर्तन के बाद शाना ने उसे ठुकरा दिया। परिजनों ने भी नाता तोड़ लिया। इसके बाद अली ने बरेली की एक मुस्लिम लड़की से शादी कर ली। धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया के दौरान अली की मुलाकात प्रतिबंधित संगठन PFI के सदस्य मोहम्मद गौस से हुई। गौस के जरिये वह दिल्ली के मौलाना कलीम सिद्दीकी से जुड़ा, जो एक अन्य धर्मांतरण मामले में दोषी ठहराया जा चुका है।
अली ने पश्चिम बंगाल के आसनसोल, बर्दवान और कतवा में स्थित मदरसों में तीन महीने तक धार्मिक शिक्षा ली।
इंस्टाग्राम से गोवा की आयशा तक
करीब एक साल पहले अली की पहचान गोवा की आयशा से हुई, जो कथित तौर पर धर्मांतरित लड़कियों की जानकारी दर्ज करती थी। अली और आयशा को इस नेटवर्क का सक्रिय सदस्य माना जा रहा है।
पुलिस के अनुसार, अली ने पूछताछ में PFI और SDPI से नेटवर्क के संबंधों की पुष्टि की है।
'मिशन अस्मिता' के तहत बड़ी कार्रवाई
उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष अभियान 'मिशन अस्मिता' के तहत छह राज्यों से कुल दस लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें हसन अली और ओसामा (कोलकाता), रहमान कुरैशी (आगरा), अबू तालिब (मुज़फ्फरनगर), अब्दुर रहमान (देहरादून), मोहम्मद अली व जुनैद कुरैशी (राजस्थान), और मुस्तफा (दिल्ली) शामिल हैं।
पुलिस का कहना है कि इस गिरोह की कार्यप्रणाली ISIS की तर्ज़ पर 'कट्टरपंथ और धर्मांतरण' पर केंद्रित थी।
अली वर्तमान में आगरा की जेल में बंद है और उसने अपने माता-पिता से माफ़ी मांगने की इच्छा भी जताई है। पुलिस की जांच जारी है और कई अन्य कड़ियों को जोड़ा जा रहा है।