रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर नागरिक-सैन्य एकीकरण (civil-military fusion) का एक “उत्कृष्ट उदाहरण” है, जहां प्रशासनिक तंत्र और सशस्त्र बलों ने मिलकर महत्वपूर्ण जानकारी जनता तक पहुंचाई और देश में विश्वास बढ़ाया। वे मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) में 100वें कॉमन फाउंडेशन कोर्स के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे।
राजनाथ सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पीओके में स्थित आतंकी शिविरों को “संतुलित और गैर-उत्तेजक” कार्रवाई में नष्ट किया। उन्होंने कहा कि सीमा पर स्थिति सामान्य न होना पड़ोसी देश के “दुर्व्यवहार” का परिणाम था। उन्होंने सैनिकों की वीरता की सराहना की और साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा सूचना साझा करने और देशभर में सफल मॉक ड्रिल करवाने के प्रयासों की भी प्रशंसा की।
उन्होंने कहा कि विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को पाने के लिए सुशासन और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच तालमेल बढ़ाना जरूरी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन” तथा “रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म” के मंत्र का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार बनने के बाद 2014 में भारत 11वीं अर्थव्यवस्था था, जो अब चौथे स्थान पर पहुंच चुका है। उन्होंने कहा कि ग्लोबल फर्मों का अनुमान है कि भारत आगामी 2-3 वर्षों में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।
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सिंह ने प्रशिक्षु सिविल सेवकों से कहा कि वे “जनसेवक” हैं, जिनका चरित्र निष्कलंक और कार्यों में पारदर्शिता होनी चाहिए। उन्होंने टेक्नोलॉजी के माध्यम से जनसंपर्क, पारदर्शिता और समावेशिता बढ़ाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि कमजोर और वंचित वर्ग से मुलाकात के दौरान अधिकारियों में संवेदनशीलता और सहानुभूति जरूरी है—यही उन्हें “जन-केंद्रित और करुणामय” बनाता है।
उन्होंने सिविल सेवाओं में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को भी सराहा और कहा कि 2047 तक कई महिलाएं कैबिनेट सचिव पद तक पहुंचेंगी। उन्होंने LBSNAA के प्रशिक्षण ढांचे की प्रशंसा की और UPSC तथा LBSNAA की साझेदारी को भारत की प्रशासनिक नींव को मजबूत करने वाला बताया।
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