अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIA) की फार्माकोलॉजी प्रयोगशाला ने आयुर्वेद आधारित अनुसंधान के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। संस्थान को भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) से एक साथ तीन अंतरराष्ट्रीय मानक प्रमाणपत्र प्राप्त हुए हैं — आईएस/आईएसओ 9001:2015 (गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली), आईएस/आईएसओ 14001:2015 (पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली) और आईएस/आईएसओ 45001:2018 (व्यावसायिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली)।
नई दिल्ली में आयोजित बीआईएस कार्यक्रम के दौरान यह मान्यता प्रदान की गई। यह उपलब्धि आयुष मंत्रालय के अधीन स्वायत्त संगठन एआईआईए के लिए एक बड़ा मील का पत्थर है, जो इसकी गुणवत्ता, पर्यावरणीय जिम्मेदारी और कार्यस्थल सुरक्षा के प्रति विश्वस्तरीय प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
संस्थान में एकीकृत प्रबंधन प्रणाली (IMS) लागू करने से अनुसंधान प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और दक्षता आई है। इससे आयुर्वेदिक औषधियों पर प्रीक्लिनिकल अध्ययन में नैतिक और पर्यावरणीय मानकों का सुदृढ़ पालन सुनिश्चित हुआ है।
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एआईआईए के अनुसार, इन प्रमाणनों से प्रयोगशाला को कई लाभ प्राप्त हुए हैं — जैसे कि गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली के तहत मानकीकृत प्रयोगात्मक प्रोटोकॉल, पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली के तहत अपशिष्ट में कमी और ऊर्जा दक्षता, तथा सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली के तहत कार्यस्थल सुरक्षा और जोखिम नियंत्रण।
संस्थान के निदेशक प्रो. (वैद्य) पी.के. प्रजापति ने कहा कि यह उपलब्धि एआईआईए के लिए गर्व का क्षण है और यह शिक्षा, अनुसंधान तथा संस्थागत प्रशासन में उत्कृष्टता के प्रति इसकी निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि वैश्विक मानकों को पारंपरिक आयुर्वेद अनुसंधान के साथ एकीकृत करना गुणवत्ता, सुरक्षा और स्थायित्व की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
वहीं, बीआईएस की वैज्ञानिक लल्थन पारी ने कहा कि गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली अपनाना संस्थानों के मानकों को ऊंचा उठाने का माध्यम है। सीसीआरएच के महानिदेशक डॉ. सुभाष कौशिक ने कहा कि गुणवत्ता, प्रतिबद्धता और सतत सुधार ही संस्थागत उत्कृष्टता के तीन स्तंभ हैं।
एआईआईए, जो एनएएसी ‘A++’ मान्यता प्राप्त और एनएबीएच-मान्यता प्राप्त भारत का पहला सार्वजनिक आयुर्वेद अस्पताल है, 200 बिस्तरों की सुविधा, 12 विशिष्ट विभागों और 45 क्लीनिकों के साथ कार्यरत है। यह संस्थान पारंपरिक आयुर्वेदिक सिद्धांतों को आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान से जोड़कर साक्ष्य-आधारित, सतत स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा दे रहा है।
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