कनाडा में पढ़ाई करने की इच्छा रखने वाले भारतीय छात्रों के लिए 2025 अब तक निराशाजनक साबित हुआ है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष अब तक 80% भारतीय छात्र वीज़ा आवेदन खारिज कर दिए गए हैं। यह प्रवृत्ति छात्रों और उनके परिवारों के बीच चिंता का विषय बन गई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इन खारिज़ आवेदनों के पीछे कई कारण हो सकते हैं। सबसे बड़ा कारण कनाडा सरकार द्वारा हाल ही में लागू की गई कड़ी आव्रजन नीतियाँ और विश्वविद्यालयों में सीटों की सीमित उपलब्धता बताया जा रहा है। इसके अलावा, कुछ मामलों में फर्जी दस्तावेज़ और अपर्याप्त वित्तीय प्रमाण भी वीज़ा अस्वीकृति के लिए जिम्मेदार माने जा रहे हैं।
कनाडा लंबे समय से भारतीय छात्रों के लिए शिक्षा का एक लोकप्रिय गंतव्य रहा है। हर साल लाखों छात्र उच्च शिक्षा के लिए आवेदन करते हैं, लेकिन इस साल वीज़ा अस्वीकृति की दर ने कई परिवारों की योजनाओं पर पानी फेर दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि बढ़ते राजनीतिक और कूटनीतिक तनाव भी इस फैसले को प्रभावित कर सकते हैं।
और पढ़ें: गडकरी का लक्ष्य: पाँच साल में भारत की ऑटो इंडस्ट्री को दुनिया में नंबर वन बनाना
भारतीय छात्र संगठनों ने इस उच्च अस्वीकृति दर को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है और भारत सरकार से आग्रह किया है कि वह इस मामले को कनाडाई अधिकारियों के साथ उठाए। छात्रों का कहना है कि लगातार खारिज़ हो रहे वीज़ा उनके भविष्य और आर्थिक स्थिति पर गहरा असर डाल रहे हैं।
स्पष्ट है कि यदि यह स्थिति बनी रहती है तो भारतीय छात्रों को कनाडा के बजाय अन्य देशों की ओर रुख करना पड़ सकता है। यह न केवल छात्रों के लिए बल्कि कनाडा की शिक्षा प्रणाली के लिए भी चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है।
और पढ़ें: अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने 140 नए सिविल सर्वेंट्स को सम्मानित किया, उनकी निष्ठा की सराहना की