बोधू शेख पिछले कई महीनों से अपनी बेटी के परिवार की वापसी के लिए लड़ रहे हैं। उनकी बेटी सुनेली खातून, उसके पति डैनिश शेख और उनके आठ वर्षीय बेटे को 27 जून को सीमा पार कर बांग्लादेश में धकेल दिया गया था। उन्हें दिल्ली पुलिस ने 18 जून को इस आरोप में हिरासत में लिया था कि वे अवैध बांग्लादेशी नागरिक हैं। उनके साथ एक और परिवार — स्वीटी बीबी, उनके पति और दो बच्चों — को भी इसी तरह सीमा के पार भेज दिया गया था।
अब, जब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से “मानवीय आधार” पर उनकी भारत वापसी पर विचार करने को कहा है, बोधू शेख को थोड़ी उम्मीद जगी है, लेकिन मन में अब भी अनिश्चितता बनी हुई है।
“मेरी बेटी नौ महीने की गर्भवती है और जल्द ही तीसरे बच्चे को जन्म देने वाली है। जब तक मैं उसे अपने घर के दरवाज़े से अंदर आते नहीं देख लेता, मेरा मन शांत नहीं होने वाला,” बोधू शेख ने पश्चिम बंगाल के बीरभूम स्थित अपने घर से फोन पर कहा।
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उन्होंने बताया कि परिवार लगातार चिंताओं में जी रहा है। सुनेली को धकेले जाने की घटना ने पूरे गांव में भय और असहायता का माहौल पैदा कर दिया है। बोधू शेख कहते हैं कि उनकी बेटी और उसके परिवार को बिना किसी जांच-पड़ताल के सीमा पार भेजा गया, जिससे उनका जीवन संकट में पड़ गया है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश से परिवार में उम्मीद की एक किरण जागी है, लेकिन बोधू शेख कहते हैं कि जब तक सरकार औपचारिक अनुमति नहीं देती और उनका परिवार सुरक्षित लौट नहीं आता, तब तक चिंता दूर नहीं होगी।
उनका यही संदेश है — “हम बस उनकी सुरक्षित वापसी का इंतज़ार कर रहे हैं।”
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