आजीवन कारावास की सजा काट रहे गोविंदचामी की जेल से फरारी ने राज्य की जेल और सुधार सेवाओं (Prisons and Correctional Services) विभाग में गंभीर खामियों को उजागर कर दिया है। इस घटना ने न केवल जेलों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि कैदियों के प्रबंधन और निगरानी प्रणाली की कमियों को भी सामने लाया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की घटना केवल सुरक्षा चूक का मामला नहीं है, बल्कि यह पूरी संस्थागत संरचना में मौजूद खामियों का संकेत है। जेलों में स्टाफ की कमी, पुरानी तकनीक, सीसीटीवी और निगरानी सिस्टम की खराब स्थिति, साथ ही कैदियों की गतिविधियों पर अपर्याप्त निगरानी जैसी समस्याएं लंबे समय से मौजूद हैं।
गोविंदचामी के फरार होने के बाद जांच में यह भी सामने आया कि जेलों में नियमित ऑडिट और सुरक्षा ड्रिल्स को पर्याप्त महत्व नहीं दिया जाता। सुधारात्मक कार्यक्रम और कैदियों का पुनर्वास भी कमजोर कड़ी साबित हुए हैं।
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विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि जेल प्रशासन को आधुनिक तकनीक जैसे बायोमेट्रिक ट्रैकिंग, उन्नत निगरानी उपकरण और डिजिटल मैनेजमेंट सिस्टम अपनाने की जरूरत है। इसके अलावा, जेल कर्मियों के लिए नियमित प्रशिक्षण और जवाबदेही सुनिश्चित करना भी आवश्यक है।
राज्य सरकार ने घटना के बाद उच्च स्तरीय जांच का आदेश दिया है और जेल सुधारों के लिए एक टास्क फोर्स गठित करने की योजना बनाई है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
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