श्रीलंकाई राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिषानायके के कार्यालय ने मंगलवार (2 दिसंबर 2025) को कहा कि चक्रवात ‘दित्वाह’ के बाद राहत और बचाव कार्यों में भारत ने अग्रणी भूमिका निभाई है। इस चक्रवात में 400 से अधिक लोगों की मौत हुई है और देश के कई क्षेत्र भारी तबाही का सामना कर रहे हैं।
राष्ट्रपति कार्यालय के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति दिषानायके को हार्दिक संवेदनाएं व्यक्त कीं और आश्वासन दिया कि भारत इस कठिन समय में श्रीलंका और उसके लोगों के साथ मजबूती से खड़ा है। सोमवार (1 दिसंबर) को पीएम मोदी ने राष्ट्रपति से फोन पर बात की और राहत कार्यों में हर संभव सहायता जारी रखने का वादा किया।
श्रीलंका वर्तमान में भीषण बाढ़, भूस्खलन और व्यापक बुनियादी ढांचे के नुकसान से जूझ रहा है, जिसने कई जिलों को अलग-थलग कर दिया है और देश की आपदा प्रबंधन क्षमता पर भारी दबाव डाला है। आपदा प्रबंधन केंद्र (DMC) ने 410 मौतों और 336 लोगों के लापता होने की पुष्टि की है।
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भारत ने ‘ऑपरेशन सागर बंधु’ शुरू करते हुए NDRF की 80 सदस्यीय दो टीमों को श्रीलंका भेजा है, जिससे ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति को पुनः सुदृढ़ किया गया है।
इसके साथ ही, श्रीलंकाई सरकार ने घोषणा की कि राहत सामग्री पर कस्टम शुल्क और अन्य कर नहीं लगाए जाएंगे, बशर्ते सामग्री आपदा प्रबंधन महानिदेशक या रक्षा मंत्रालय के सचिव के नाम भेजी जाए।
सड़क विकास प्राधिकरण ने बताया कि A और B श्रेणी की कुल 256 सड़कें और 15 प्रमुख पुल क्षतिग्रस्त हुए हैं। अब तक 4,07,594 परिवारों के 14,66,615 लोग इस आपदा से प्रभावित हुए हैं।
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