दक्षिण कोरिया की संसद ने मंगलवार (23 दिसंबर, 2025) को एक अहम विधेयक पारित किया, जिसके तहत विद्रोह, देशद्रोह और विदेशी साज़िश से जुड़े मामलों के लिए सियोल की जिला और उच्च अदालतों में विशेष पीठों का गठन किया जाएगा। यह कदम जेल में बंद पूर्व राष्ट्रपति यून सुक योल के विद्रोह मामले की सुनवाई में देरी को लेकर उठी शिकायतों के बाद उठाया गया है।
हालांकि, यह विधेयक उस रूप में लागू नहीं होगा जैसा कि सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक पार्टी शुरू में चाहती थी। कानून निर्माताओं ने इसके शब्दों में बदलाव कर यह स्पष्ट कर दिया कि यह प्रावधान पहले से चल रहे मुकदमों पर लागू नहीं होगा। आलोचकों का कहना था कि विधेयक का शुरुआती मसौदा न्यायिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप कर सकता था।
नए कानून के तहत सियोल सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट और सियोल हाई कोर्ट में विद्रोह, देशद्रोह और विदेशी साज़िश से जुड़े मामलों के लिए कम से कम दो विशेष पीठों का गठन अनिवार्य होगा। प्रत्येक पीठ में तीन न्यायाधीश होंगे, जिनका चयन संबंधित अदालत की न्यायाधीश परिषद द्वारा किया जाएगा। यह विधेयक 175–2 के भारी बहुमत से पारित हुआ, जबकि दो सदस्यों ने मतदान से दूरी बनाई। कई रूढ़िवादी सांसदों ने वोटिंग का बहिष्कार किया।
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मतदान से पहले कंजरवेटिव पीपल पावर पार्टी (PPP) के नेता जांग डोंग-ह्युक ने 24 घंटे का फिलीबस्टर कर इस विधेयक का विरोध किया। उन्होंने इसे असंवैधानिक बताते हुए आरोप लगाया कि डेमोक्रेट्स अदालतों पर दबाव डालकर अपनी पसंद की पीठ बनवाना चाहते हैं। वोटिंग के बाद PPP नेताओं ने राष्ट्रपति ली जे म्युंग से इस विधेयक पर वीटो लगाने की मांग की।
यह कानून राष्ट्रपति ली जे म्युंग के हस्ताक्षर के तुरंत बाद लागू हो जाएगा, लेकिन यह यून सुक योल के मौजूदा विद्रोह मुकदमे पर लागू नहीं होगा, जिसका फैसला 2026 की शुरुआत में आने की संभावना है। यदि यह मामला हाई कोर्ट तक पहुंचता है, तो वहां विशेष पीठ इसे सुनेगी।
गौरतलब है कि यून सुक योल ने दिसंबर 2024 में मार्शल लॉ की घोषणा की थी, जिसे उन्होंने “राज्य-विरोधी” उदारवादियों के खिलाफ जरूरी बताया था। अप्रैल में उन्हें पद से हटाया गया और जुलाई में दोबारा गिरफ्तार किया गया। उन पर विद्रोह सहित कई गंभीर आरोप हैं, जिनमें उम्रकैद या मृत्युदंड तक का प्रावधान है।
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