अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक नई नीति के तहत सरकार में ‘वोक’ (Woke) आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के उपयोग पर रोक लगाने का आदेश दिया है। इस आदेश का उद्देश्य सरकारी संस्थानों में “राजनीतिक एजेंडे से प्रभावित” AI सिस्टम को खत्म करना है। ट्रंप ने यह स्पष्ट किया है कि वह चाहते हैं कि एआई मॉडल निष्पक्ष और तथ्यों पर आधारित हों, न कि किसी वैचारिक झुकाव वाले ‘वोक एजेंडे’ को आगे बढ़ाएं।
‘वोक’ शब्द का उपयोग अब अक्सर उदारवादी या प्रगतिशील सोच को दर्शाने के लिए किया जाता है, जिसमें नस्लीय, लैंगिक और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर संवेदनशीलता शामिल होती है। ट्रंप का मानना है कि इन मुद्दों के इर्द-गिर्द घूमने वाले AI मॉडल सरकारी तंत्र में पक्षपात और वैचारिक पूर्वाग्रह को जन्म दे सकते हैं।
इस कदम से टेक्नोलॉजी कंपनियों, खासकर एआई चैटबॉट्स विकसित करने वाली कंपनियों जैसे ओपनएआई, गूगल और मेटा, पर भी दबाव बढ़ेगा कि वे अपने मॉडलों को "राजनीतिक रूप से तटस्थ" बनाए रखें। विश्लेषकों का कहना है कि इससे कंपनियों को अपनी AI ट्रेनिंग नीतियों और मॉडरेशन पॉलिसी में बदलाव करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।
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आलोचकों का तर्क है कि यह कदम तकनीकी स्वतंत्रता को सीमित कर सकता है और AI पर सेंसरशिप को बढ़ावा दे सकता है। हालांकि समर्थक इसे सरकारी कामकाज में वैचारिक तटस्थता लाने की दिशा में एक जरूरी पहल बता रहे हैं।
इस मुद्दे ने अमेरिका में AI की भूमिका और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बहस को और तेज कर दिया है।
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