भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र (यूएन) आज भी 1945 की विश्व व्यवस्था को दर्शाता है, न कि 2025 की वास्तविकताओं को। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब समय आ गया है जब यूएन को अपने ढांचे और दृष्टिकोण में व्यापक सुधार करना चाहिए, ताकि यह बदलती वैश्विक परिस्थितियों और चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना कर सके।
जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की संस्थाएं, विशेषकर सुरक्षा परिषद, आज की भू-राजनीतिक वास्तविकताओं को नहीं दर्शातीं। दुनिया में शक्ति संतुलन, आर्थिक प्रभाव और जनसंख्या संरचना में हुए गहरे बदलावों को ध्यान में रखते हुए सुधार आवश्यक हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि यूएन को प्रासंगिक और प्रभावशाली बने रहना है, तो उसे 21वीं सदी की अपेक्षाओं के अनुरूप ढलना होगा।
विदेश मंत्री ने विशेष रूप से वैश्विक शांति स्थापना (पीसकीपिंग) प्रयासों की "पुनर्संरचना" की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि बदलते संघर्ष स्वरूप, तकनीकी हस्तक्षेप और बहुपक्षीय सहयोग के नए स्वरूपों को देखते हुए यूएन के शांति मिशनों को भी नई दिशा देनी होगी।
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जयशंकर ने यह भी दोहराया कि भारत हमेशा से वैश्विक संस्थाओं में सुधार का समर्थन करता आया है और एक अधिक समावेशी, प्रतिनिधिक और संतुलित विश्व व्यवस्था के पक्ष में है। उन्होंने कहा कि “यूएन में सुधार सिर्फ एक विकल्प नहीं, बल्कि एक आवश्यकता बन चुका है।”
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