जैसे-जैसे 5 अगस्त 2025 की तारीख नजदीक आ रही है, पाकिस्तान में राजनीतिक तनाव बढ़ता जा रहा है। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़ (PML-N) के नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर इमरान खान के बेटे – सुलेमान और कासिम – पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ (PTI) द्वारा घोषित "इमरान खान फ्री मूवमेंट" के तहत हिंसक विरोध प्रदर्शनों में शामिल होते हैं, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
यह चेतावनी अलीमा खान के उस बयान के बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि यूके में रहने वाले दोनों भाई अपने पिता की जेल से रिहाई की मांग को लेकर PTI के आंदोलन में हिस्सा लेने पाकिस्तान आएंगे। इमरान खान अगस्त 2023 से जेल में बंद हैं।
पंजाब की सूचना मंत्री अज़मा बोखारी ने उनके दौरे के समय पर सवाल उठाते हुए कहा, "जब खान घायल हुए थे, तब ये नहीं आए। अब अचानक पाकिस्तान की याद कैसे आ गई?" उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार “उपद्रवियों” को देश में अशांति फैलाने के लिए इन भाइयों का इस्तेमाल नहीं करने देगी।
प्रधानमंत्री के सलाहकार राना सनाउल्लाह ने भी चेताया कि अगर दोनों भाई हिंसक विरोध की अगुवाई करते हैं तो उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा। वहीं, खैबर पख्तूनख्वा के राज्यपाल फैसल करीम कुंडी ने दोहराया कि “कानून से ऊपर कोई नहीं है।”
हालांकि, PML-N के सांसद इरफ़ान सिद्दीक़ी ने नरम रुख अपनाते हुए कहा कि भाइयों को कानून के दायरे में रहते हुए प्रदर्शन करने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने जोड़ा, “अगर वे कानून की सीमाएं पार करते हैं, तो कानून अपना काम करेगा।” उन्होंने यह भी कहा कि दोनों भाइयों की ब्रिटिश नागरिकता के चलते पाकिस्तान के संविधान के तहत उनकी राजनीतिक भागीदारी सीमित है।
इमरान खान की पूर्व पत्नी जेमिमा गोल्डस्मिथ ने इन चेतावनियों की आलोचना करते हुए इसे “निजी प्रतिशोध” करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार उनके बेटों को अपने पिता से बात करने की इजाज़त नहीं दे रही है, जो एकांत कारावास में हैं। उन्होंने X पर पोस्ट किया, “यह राजनीति नहीं है; यह लोकतंत्र नहीं है।”
कासिम खान ने भी अपनी बात रखते हुए कहा कि उनके पिता को पूरी तरह से परिवार और वकीलों से काट दिया गया है। उन्होंने इसे "अलग-थलग करने और मानसिक रूप से तोड़ने की कोशिश" बताया।
यह पूरा विवाद ऐसे समय में हो रहा है जब PTI ने PML-N सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध की योजना बनाई है। इमरान खान का आरोप है कि 2024 के चुनाव में उनकी जीत का जनादेश चुराया गया। जैसे-जैसे 5 अगस्त नज़दीक आ रहा है, सरकार का सख्त रवैया इस बात का संकेत है कि राजनीतिक टकराव और बढ़ सकता है।