एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) द्वारा एयर इंडिया 171 विमान दुर्घटना पर जारी की गई 15-पृष्ठीय प्रारंभिक रिपोर्ट ने जितना बताया, उससे कहीं अधिक छुपाया है। रिपोर्ट में दुर्घटना से जुड़ी कुछ अतिरिक्त जानकारियाँ जरूर दी गई हैं, लेकिन वह भी चयनात्मक ढंग से। जरूरी संदर्भ, तकनीकी विवरण और संबंधित जानकारी के अभाव में यह रिपोर्ट स्पष्टता के बजाय भ्रम पैदा करती है।
रिपोर्ट को जिस भाषा और ढंग से लिखा गया है, उसने विशेषज्ञों और जनता के बीच कई तरह की व्याख्याओं के द्वार खोल दिए हैं। एक विशेषज्ञ के शब्दों में कहें तो, "यह रिपोर्ट बहुत कुछ कहती है, लेकिन असल में कुछ भी स्पष्ट नहीं करती।"
AAIB की ओर से रिपोर्ट जारी करने के बाद या पहले कोई भी गंभीर प्रयास नहीं किया गया कि विशेषज्ञों द्वारा उठाए गए तकनीकी सवालों के जवाब दिए जाएँ। आधी रात को वेबसाइट पर रिपोर्ट अपलोड कर देना और फिर कोई स्पष्टीकरण न देना, इस पूरे मामले को और अधिक संदेहास्पद बना देता है।
दुर्घटना के बाद से ही मंत्रालय की ओर से जांच की प्रगति पर कोई नियमित जानकारी साझा नहीं की गई, जिससे सोशल मीडिया और मीडिया में गलत जानकारी और अफवाहें फैल रही हैं। अब हालात यह हैं कि पायलटों से लेकर एयर इंडिया, बोइंग और GE तक, सब पर दोषारोपण हो रहा है। इसी को 'राशोमोन प्रभाव' कहा जाता है — एक ही घटना की कई भिन्न व्याख्याएँ, हर दृष्टिकोण से अलग।