इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में अदालतों में बढ़ते मामलों के बोझ और कुछ वकीलों द्वारा न्यायालय की उचित सहायता न करने की गंभीर स्थिति पर चिंता व्यक्त की है। अदालत ने इसे “बहुत ही दुखद स्थिति” बताया और कई वकीलों की आलोचना की।
हाईकोर्ट ने कहा कि वर्तमान में अदालतें अत्यधिक मामलों से जूझ रही हैं और समय पर न्याय प्रदान करना मुश्किल हो रहा है। न्यायिक प्रक्रिया की सुचारू रूप से संचालन के लिए वकीलों का सहयोग बेहद महत्वपूर्ण है। हालांकि, कई वकील न्यायालय में पक्षकारों की ओर से निष्पक्ष और समय पर सहयोग प्रदान करने में असफल रहे हैं।
अदालत ने यह भी नोट किया कि कुछ मामलों में वकीलों की लापरवाही और सहयोग न करने के कारण सुनवाई में देरी हो रही है, जिससे न्यायिक प्रणाली की साख पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि वकीलों की जिम्मेदारी केवल अपने पक्ष के लिए नहीं, बल्कि पूरे न्यायालय के सुचारू संचालन के लिए भी होती है।
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हाईकोर्ट ने सभी अधिवक्ताओं को सख्त निर्देश दिए कि वे न्यायालय की मदद करें और मामलों की सुनवाई में सहयोगी बनें। अदालत ने यह भी कहा कि यदि वकील सहयोग नहीं करेंगे, तो उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
यह टिप्पणी उस समय आई है जब देश भर में अदालतों में मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है और न्याय मिलने में देरी आम समस्या बन चुकी है। न्यायपालिका ने वकीलों और संबंधित पक्षों से अपील की है कि वे इस संकट को समझें और न्याय की प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाने में योगदान दें।
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