इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार को ट्रिपल तलाक के आरोपी के खिलाफ चल रही कार्यवाही पर अस्थायी स्थगन (stay) लगा दिया। न्यायालय ने यह आदेश याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश किए गए तर्कों को ध्यान में रखते हुए दिया, जिसमें कहा गया कि आवेदनकर्ता मुस्लिम हैं और शिया समुदाय से संबंधित हैं, जो ट्रिपल तलाक की प्रथा का पालन नहीं करते।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किलों के खिलाफ दर्ज कार्यवाही पूरी तरह से गैर-जरूरी और समुदाय विशेष की प्रथा के विरोध में है। शिया मुस्लिम समुदाय में ट्रिपल तलाक की कोई परंपरा नहीं है, और इस आधार पर यह मामला गलत तरीके से उनके खिलाफ दर्ज किया गया।
न्यायालय ने सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट किया कि यह स्थगन अस्थायी है, और मामले की अगली सुनवाई में दोनों पक्ष अपनी दलीलें पेश कर सकेंगे। अदालत ने यह भी कहा कि स्थगन का उद्देश्य केवल याचिकाकर्ताओं के खिलाफ तात्कालिक कार्रवाई को रोकना है, न कि मामले की पूर्ण निपटान में हस्तक्षेप करना।
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विशेषज्ञों का कहना है कि यह आदेश धार्मिक प्रथाओं और कानूनी प्रक्रियाओं के बीच संतुलन बनाए रखने का एक उदाहरण है। यह मामला मुस्लिम समुदाय के भीतर अलग-अलग प्रथाओं और उनके कानूनी प्रभाव को लेकर महत्वपूर्ण दिशा दिखाता है।
ट्रिपल तलाक, जो भारत में पहले कई विवादों का कारण रहा है। इसे सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही असंवैधानिक घोषित कर दिया है, लेकिन धार्मिक और समुदाय विशेष के मामलों में अभी भी कानूनी जटिलताएं बनी हुई हैं।
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