आंध्र प्रदेश के पलनाडु जिले में फसल की असफलता और बढ़ते कर्ज ने कई किराएदार किसानों को आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया है। स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, किसान परिवारों की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन सरकारी राहत योजनाओं का लाभ अधिकांश प्रभावित परिवारों तक नहीं पहुंच पाया है।
कई किसानों के परिवार अब भी सरकार द्वारा घोषित अनुग्रह राशि की प्रतीक्षा कर रहे हैं। कई मामलों में, किसानों की मौतों का आंकड़ा आधिकारिक रिकॉर्ड में दर्ज भी नहीं हुआ है, जिससे उनकी समस्याओं और भी गूढ़ हो रही हैं। किसानों के कर्ज की बढ़ती बोझ और फसल की खराब स्थिति ने उनके जीवन को असहनीय बना दिया है।
स्थानीय पत्रकार ने बताया कि पलनाडु जिले में यह समस्या लंबे समय से है। फसल विफलता, जलवायु परिस्थितियों में बदलाव और बाजार में कम कीमतें किसानों की आमदनी को प्रभावित कर रही हैं। जब कर्ज के दबाव में जीवन जीना असंभव हो जाता है, तो कुछ किसान यह अंतिम कदम उठाने पर मजबूर हो जाते हैं।
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सरकारी तंत्र द्वारा सहायता प्रदान करने की कोशिशें की जा रही हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर राहत बहुत धीमी गति से पहुंच रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि केवल वित्तीय सहायता ही पर्याप्त नहीं है; किसानों के मानसिक स्वास्थ्य और कृषि सलाह के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
इस संकट ने क्षेत्र की सामाजिक और आर्थिक स्थिरता पर भी असर डाला है। स्थानीय समुदाय अब कृषि संकट और किसानों की बढ़ती समस्याओं के समाधान के लिए जागरूकता बढ़ाने और नीति निर्माताओं को दबाव बनाने की दिशा में काम कर रहा है।
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