बॉम्बे हाईकोर्ट ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) [CPI(M)] के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने से इनकार कर दिया है। पार्टी ने हाल ही में गाजा के समर्थन में विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति मांगी थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके बाद CPI(M) ने कोर्ट की टिप्पणियों की सार्वजनिक रूप से आलोचना की थी।
याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि CPI(M) ने कोर्ट के आदेशों का अपमान किया है और न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाई है। हालांकि, हाईकोर्ट ने कहा कि केवल सार्वजनिक आलोचना को अवमानना नहीं माना जा सकता, जब तक कि यह न्यायालय की प्रक्रिया में बाधा न बने या जानबूझकर न्याय की अवमानना न की गई हो।
न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में अदालतों की आलोचना करना नागरिकों और राजनीतिक दलों का अधिकार है, बशर्ते यह आलोचना मर्यादित और तथ्यों पर आधारित हो। कोर्ट ने कहा कि स्वतंत्र अभिव्यक्ति का सम्मान करना न्यायपालिका की जिम्मेदारी है, और हर आलोचना को अवमानना मानना उचित नहीं होगा।
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गाजा के समर्थन में प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन को पहले ही सुरक्षा कारणों और कानून-व्यवस्था की स्थिति को ध्यान में रखते हुए खारिज कर दिया गया था। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि प्रदर्शन की अनुमति न देने का निर्णय सार्वजनिक सुरक्षा और शांति बनाए रखने के लिए आवश्यक था।
इस फैसले से स्पष्ट होता है कि अदालतें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित नहीं करना चाहतीं, लेकिन न्यायपालिका की गरिमा और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के बीच संतुलन जरूरी है।
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