बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को मुंबई में कबूतरखानों (Kabutar Khanas) की तोड़फोड़ पर ब्रिहनमुंबई महानगरपालिका (BMC) को अस्थायी रूप से रोकने का आदेश दिया। यह फैसला उन तीन मुंबई-आधारित पशु प्रेमियों—पल्लवी पाटिल, स्नेहा विसारिया और सविता महाजन—द्वारा दायर एक याचिका की सुनवाई के दौरान लिया गया, जिन्होंने दावा किया कि BMC ने 3 जुलाई से शहरभर में कबूतरखानों को अवैध रूप से तोड़ने की मुहिम शुरू की है।
न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। कोर्ट ने KEM अस्पताल के डीन को भी इस मामले में पक्षकार बनाने का निर्देश दिया और BMC तथा एनिमल वेलफेयर बोर्ड से जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ताओं हरीश पांड्या और ध्रुव जैन ने कोर्ट में दलील दी कि BMC की यह कार्रवाई मनमानी और गैरकानूनी है। उन्होंने कहा कि इससे कबूतरों का "सामूहिक भूखमरी और विनाश" हो रहा है, जो कि प्रिवेंशन ऑफ क्रूएल्टी टू एनिमल्स एक्ट, 1960 का उल्लंघन है।
याचिका में यह भी कहा गया कि बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया के इन कबूतरखानों को तोड़ा जा रहा है, जिससे शहर में पक्षियों की देखभाल करने वाले लोगों को भी मानसिक आघात पहुंचा है।
अब अगली सुनवाई में कोर्ट यह तय करेगा कि क्या BMC की यह कार्रवाई वैध थी और पशु कल्याण के प्रावधानों का पालन किया गया या नहीं।