कलकत्ता विश्वविद्यालय की कुलपति को हाल ही में राज्य सरकार के अनुरोध को ठुकराने के लिए व्यापक सराहना मिल रही है। सरकार ने विश्वविद्यालय से अनुरोध किया था कि त्रिणमूल कांग्रेस छात्र परिषद (टीएमसी छात्र विंग) के स्थापना दिवस के अवसर पर निर्धारित परीक्षाओं को स्थगित कर दिया जाए।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस अनुरोध को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि शैक्षणिक कैलेंडर पहले से तय है और परीक्षाओं की तिथियों में बदलाव करना छात्रों की पढ़ाई और परीक्षा प्रक्रिया को प्रभावित करेगा। कुलपति ने साफ कर दिया कि विश्वविद्यालय अपने शैक्षणिक कार्यक्रमों में राजनीतिक हस्तक्षेप की अनुमति नहीं देगा और संस्थान की स्वायत्तता की रक्षा की जाएगी।
इस फैसले की शिक्षाविदों, छात्रों और आम जनता ने सराहना की है। उनका मानना है कि विश्वविद्यालय का यह कदम उच्च शिक्षा संस्थानों की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। कई विशेषज्ञों का कहना है कि राजनीतिक कारणों से शैक्षणिक कार्यक्रमों में बदलाव शिक्षा व्यवस्था की निष्पक्षता और गुणवत्ता को नुकसान पहुंचा सकता है।
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विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा कि परीक्षाएं पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार होंगी और छात्रों से अपील की गई कि वे बिना किसी चिंता के अपनी तैयारी जारी रखें। यह कदम न केवल विश्वविद्यालय की स्वायत्तता की पुष्टि करता है, बल्कि भविष्य में अन्य शैक्षणिक संस्थानों को भी राजनीतिक दबाव का सामना करने में सशक्त बनाएगा।
विश्लेषकों का मानना है कि यह निर्णय भारतीय विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक स्वतंत्रता को मजबूत करेगा और उन्हें बाहरी हस्तक्षेप से बचाने में मदद करेगा।
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