रूस हाल के वर्षों में इंटरनेट पर अपना नियंत्रण तेजी से मजबूत कर रहा है, जिसके तहत वह कई वेबसाइट्स को ब्लॉक कर देश को डिजिटल रूप से बाकी दुनिया से अलग करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह रणनीति सरकार को सूचना प्रवाह नियंत्रित करने, विरोधी आवाजों को दबाने और राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर इंटरनेट की स्वतंत्रता को सीमित करने का साधन बन चुकी है।
रूस की सरकार ने "डिजिटल संप्रभुता" के नाम पर कई ऐसे कानून लागू किए हैं जो विदेशी वेबसाइट्स, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और स्वतंत्र समाचार पोर्टल्स तक पहुंच को सीमित करते हैं। इन कानूनों के तहत, अधिकारियों को बिना अदालत की अनुमति के किसी भी वेबसाइट को ब्लॉक करने का अधिकार प्राप्त है।
हाल के समय में, हजारों वेबसाइट्स को ब्लॉक किया गया है, जिनमें स्वतंत्र मीडिया हाउस, मानवाधिकार संगठन और विपक्षी नेताओं से जुड़े प्लेटफॉर्म शामिल हैं। रूस ने अपना स्वयं का "रूनेट" नेटवर्क भी विकसित किया है, जो वैश्विक इंटरनेट से अलग होकर देश के भीतर एक नियंत्रित डिजिटल वातावरण तैयार करता है।
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इस कदम से रूस के नागरिकों की स्वतंत्र रूप से जानकारी तक पहुंचने की क्षमता काफी प्रभावित हुई है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह नीतियां रूस को "डिजिटल आयरन कर्टन" की ओर धकेल रही हैं, जिससे देश का बाकी दुनिया से तकनीकी और सूचना के स्तर पर अलगाव बढ़ रहा है।
रूस का यह कदम वैश्विक इंटरनेट स्वतंत्रता और मुक्त संचार के लिए गंभीर चुनौती के रूप में देखा जा रहा है।
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