केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT) की हैदराबाद पीठ ने भारत-रूस संयुक्त उद्यम ब्रह्मोस एयरोस्पेस के महानिदेशक (DG) के रूप में जयतीर्थ आर. जोशी की नियुक्ति को रद्द कर दिया है। यह फैसला सोमवार को सुनाया गया, जिसमें अधिकरण ने नियुक्ति प्रक्रिया में गंभीर खामियों और मनमानेपन की ओर इशारा किया।
CAT की पीठ, जिसमें न्यायिक सदस्य लता बसवराज पाटने और प्रशासनिक सदस्य वरुण सिंधु कुल कौमुदी शामिल थे, ने 25 नवंबर 2024 के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसके तहत जयतीर्थ आर. जोशी को ब्रह्मोस का महानिदेशक नियुक्त किया गया था। पीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से कहा कि इस नियुक्ति में “प्रतिवादियों यानी केंद्र सरकार, डीआरडीओ के चेयरमैन और अन्य संबंधित अधिकारियों के निर्णय में स्पष्ट रूप से मनमानी (manifest arbitrariness) दिखाई देती है।”
अधिकरण ने माना कि नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता का अभाव था तथा यह स्थापित प्रशासनिक मानकों और प्रक्रियाओं के अनुरूप नहीं थी। CAT ने यह भी कहा कि इस तरह के महत्वपूर्ण और संवेदनशील पद पर नियुक्ति करते समय सरकार और संबंधित संस्थानों को विशेष सावधानी और निष्पक्षता बरतनी चाहिए थी।
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ब्रह्मोस एयरोस्पेस भारत और रूस का एक प्रमुख रक्षा संयुक्त उद्यम है, जो सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के विकास और उत्पादन के लिए जाना जाता है। ऐसे में इसके महानिदेशक का पद रणनीतिक और राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
अधिकरण के इस फैसले के बाद केंद्र सरकार और डीआरडीओ के पास कानूनी विकल्प खुले हैं, जिनमें उच्च न्यायालय में अपील करना भी शामिल है। हालांकि, फिलहाल जयतीर्थ आर. जोशी की नियुक्ति प्रभावी रूप से रद्द मानी जाएगी।
इस निर्णय को प्रशासनिक नियुक्तियों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। रक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि इससे भविष्य में उच्च पदों पर नियुक्तियों की प्रक्रिया को और अधिक स्पष्ट एवं नियमबद्ध बनाने का दबाव बढ़ेगा।
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