दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ पत्रकार एम. जे. अकबर द्वारा दायर उस अपील की सुनवाई की तारीख आगे बढ़ा दी, जिसमें उन्होंने पत्रकार प्रिया रमानी को मानहानि मामले में बरी किए जाने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है। यह मामला उन यौन उत्पीड़न के आरोपों से जुड़ा है, जो प्रिया रमानी ने एमजे अकबर पर लगाए थे।
इससे पहले वर्ष 2021 में ट्रायल कोर्ट ने प्रिया रमानी को मानहानि के मामले में बरी कर दिया था। अदालत ने अपने फैसले में महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा था कि सामाजिक हैसियत रखने वाला व्यक्ति भी यौन उत्पीड़क हो सकता है और किसी महिला का अपनी गरिमा और सम्मान की रक्षा के लिए सच बोलना अपराध नहीं है। इस फैसले को उस समय #MeToo आंदोलन के संदर्भ में एक अहम न्यायिक निर्णय माना गया था।
दिल्ली हाईकोर्ट में एमजे अकबर की यह अपील पहले 7 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध थी। हालांकि, अकबर ने लंबित अपील में एक अलग आवेदन दायर कर शीघ्र सुनवाई की मांग की। इस आवेदन पर न्यायमूर्ति रविंदर दुडेजा ने संक्षिप्त सुनवाई की। अकबर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नायर अदालत में पेश हुए।
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अदालत ने अकबर की मांग पर विचार करते हुए अब इस मामले की सुनवाई की तारीख 7 मई से आगे बढ़ाकर 16 मार्च निर्धारित कर दी है। इससे स्पष्ट है कि हाईकोर्ट इस संवेदनशील और बहुचर्चित मामले पर जल्द सुनवाई करना चाहता है।
यह मामला न केवल कानूनी दृष्टि से बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, महिलाओं के अधिकार और मानहानि कानून के बीच संतुलन जैसे मुद्दे जुड़े हुए हैं। अब सभी की निगाहें 16 मार्च को होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं, जहां हाईकोर्ट इस अपील पर विस्तृत बहस सुन सकता है।
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